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आँखें बंद होती हैं और दरिया भी सुख जाते हैं !

28 जनवरी 2015
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आँखें बंद होती हैं और दरिया भी सुख जाते हैं ! टूटे ख्वाबों का ज़ख़्म हम आँखों मे यूं छुपाते हैं !! आपकी बंदगी मे कुछ भी नही हासिल हुआ है लेकिन ! हमारी राहों से अक्सर आपके दीवाने रूठ जाते हैं !! टूटा था जहाँ दिल, यकीन-ए-आशिक़ी दफ़न है जहाँ ! वहाँ के लोग सुना है के अब शीशों से घर बनाते हैं !! उन्ह

अना को बेच कर अब हम तेरे

28 जनवरी 2015
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अना को बेच कर अब हम तेरे शहर-ए-वफ़ा में दाखिल हैं ! के जिसको चाहते थे हम तू वो सूरत दिखा और....जाने दे !! यहाँ से लौट कर तन्हा ही रहना है मुझे अब उम्र भर ! तू मुहब्बतो की कोई कीमत फिर लगा और......जाने दे !! जिन्हे गुमराह करती हैं तुम्हारी झील सी आँखें उन्हे ! मेरे हाल-ए-वफ़ा की दास्ताँ बेशक़ सुना

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