आँखें बंद होती हैं और दरिया भी सुख जाते हैं !
टूटे ख्वाबों का ज़ख़्म हम आँखों मे यूं छुपाते हैं !!
आपकी बंदगी मे कुछ भी नही हासिल हुआ है लेकिन !
हमारी राहों से अक्सर आपके दीवाने रूठ जाते हैं !!
टूटा था जहाँ दिल, यकीन-ए-आशिक़ी दफ़न है जहाँ !
वहाँ के लोग सुना है के अब शीशों से घर बनाते हैं !!
उन्हे ये शौक के कोई इश्क़ मे फ़ना होने लगे तो आशिक़ !
हुमें ये फक़्र के हम उनकी बे-खबरी मे जान लुटाते हैं !!
हमारे ख्वाब अब भी हमारी राहों के हमसफर हैं !
हवाओं के हुनर को वो अब भी खुदा बताते हैं !!
आपको देखने की हमको अब इजाज़त दी नही जाती !
ना जाने किन फरिश्तो के लिए जनाब तशरीफ़ लाते हैं !!
मैं अपने दिल की बातों मे ना आने की कसम ले लून !
मगर मैं क्या करूँ के आप यहाँ बे-वक़्त चले आते हैं !!