महिलाओं एवं लड़कियों में प्रति माह प्राकृतिक रूप से योनि में रक्त स्त्राव होता है जिसे मासिक धर्म या पीरियड्स कहते हैं । यह एक सतत प्रक्रिया है । यह किशोरावस्था में लड़कियों में होने वाला महत्वपूर्ण परिवर्तन है मासिक धर्म, महावारी या पीरियड की शुरुआत होना।
चूँकि यह एक एहसास भी है कि आप परिपक्व हो चुके है । या दूसरे शब्दों में यूँ कहे कि आप माँ बन सकती हैं । यह माहवारी प्रति माह होती है । यानी हर महीने 21 से 30 दिन के अंतराल में होते है । जो 3 से 5 दिन तक चलते हैं । इन दिनों में शरीर में कुछ परिवर्तन होते है । इनके भी लक्षण होते है तो चलिए जानते है - पीरियड्स क्या होते है ।
पीरियड क्या होते है ?
महावारी या मासिक धर्म की शुरुआत संकेत होता है युवा होते स्त्री शरीर का। कि स्त्री शरीर प्रजनन हेतु परिपक्व हो चुका है। इसमें प्रत्येक माह महिला अंडाशय से अंडा गर्भाशय में प्रवेश करता है । यह क्रिया ही ओवुलेशन कहलाती है । जब यहां अंडा नर शुक्राणु से मिलकर फर्टिलाइज नहीं होता है तो टूट कर रक्त के साथ योनि क्षेत्र से बाहर आ जाता है। इसे ही मासिक धर्म या महावारी या पीरियड्स कहा जाता है ।
पीरियड कैसे होते है ?
मासिक धर्म या पीरियड्स प्राकृतिक रूप से होने वाली वह सतत प्रक्रिया है जो एक नारी को नारीत्व प्रदान करते है । इस प्रक्रिया के दौरान योनि से रक्त स्राव ( Blooding ) होती है । जो लगातार 2 से 5 दिनों तक होती है । जब अंडो का फर्टिलाइज नहीं होता हैं तो योनि द्वार से टूटकर बाहर निकलता है तो रक्त स्राव होता हैं । इसी प्रक्रिया को पीरियड कहा जाता हैं ।
पीरियड्स की सही उम्र क्या है |
पीरियड्स की सही उम्र का सही से निर्धारण नहीं हो सका है। दो दशक पहले जहां 14 से 15 वर्ष में इसकी शुरुआत होती थी, आज वह उम्र 10 से 11 वर्ष हो गई है। इसीलिए यह कहना मुश्किल है कि सही उम्र क्या है जिसे शरीर स्वीकार कर परिपक्वता प्रदर्शित करें। उसे ही सही कहा जा सकता है । अतः जिस उम्र में महावारी की शुरुआत होती है वही स्त्री शरीर के लिए सही उम्र है । हालांकि खान पान, स्वभाव एवं वातावरण इस विषय पर गहरा प्रभाव डालते है । उदाहरण के लिए गर्म खानपान एवं मौसम वालों की तुलना में ठंडे क्षेत्रों के निवासियों में पीरियड्स देरी से आते है ।
यदि 15 - 16 वर्ष की उम्र पीरियड्स नहीं आते है तो डॉक्टर की सलाह लेना अनिवार्य समझे । क्योंकि ज्यादा देरी से आने का मतलब कोई भी स्वास्थ्य समस्या हो सकती हैं ।
पीरियड के लक्षण ।
सामान्यतः महिलाओं में पीरियड आने के चार-पांच दिन पहले कुछ लक्षण महसूस होने लगते हैं जो सामान्यतः हैं -
● थकान महसूस होना।
● हारमोंस के बदलाव के कारण नींद ना आना।
● चिड़चिड़ापन होना।
● पेट में भारीपन महसूस होना।
● पेट के निचले हिस्से में दर्द और ऐंंठन महसूस होना।
● मूड स्विंग होना ।
● चिंता, चिड़चिड़ापन का हावी होना।
● स्तनों में संवेदनशीलता का बढ़ जाना।
● कब्ज का होना।
यह कुछ सामान्य लक्षण है जो कभी न कभी सभी को महसूस होते हैं। वही किशोरावस्था में पीरियड्स के कुछ लक्षण इस प्रकार है -
● गुप्तांगों पर बाल आना ।
● आवाज में परिवर्तन होना ।
● योनि स्राव होना ।
● स्तनों में उभार आना ।
● चेहरे पर मुहांसे होना ।
● स्वभाव परिवर्तन होना जैसे चिड़चिड़ापन, गुस्सेल आदि ।
पीरियड के दौरान कितना रक्त स्त्राव होना चाहिये ।
कम या ज्यादा मात्रा में रक्त का स्त्राव भी शारीरिक संरचना पर ही निर्भर करता है । किसी को ज्यादा या किसी को कम होना दोनों ही स्थितियां स्वस्थ शरीर की ही निशानी है। फिर भी सामान्यता 50 से 60 ग्राम तक रक्त का बह जाना सामान्य माना जाता है। वहीं यदि 1 दिन में 3 से 4 तक पैड का इस्तेमाल करना पड़े एवं 7 दिन से ज्यादा तक रक्त का स्त्राव होता रहे तो यह असामान्य होगा। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। आमतौर पर 6 से 7 दिन रक्त स्त्राव का होना भी सामान्य माना जाता है। इससे ज्यादा दिन होने पर यह असामान्य होगा और डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए ।
पीरियड में संबंध बनाने के नुकसान या फायदे |
कई लोगों को पीरियड में यौन संबंध रखना अन्य दिनों की तुलना में अधिक सुखद लग सकता है। इससे हारमोंस में उतार-चढ़ाव से मासिक धर्म के दर्द से कुछ राहत भी मिल सकती है। किंतु पीरियड्स में यौन संबंधों के कई नकारात्मक असर भी होते हैं, इस समय इंफेक्शन का खतरा कहीं ज्यादा होता है और यह सामान्य दिनों की तुलना में कुछ अस्वच्छ होता है। अतः विचार करके ही कदम उठाना चाहिए।
जानकारी स्त्रोत - https://globalhealthtricks.com