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प्राची सिंह मुंगेरी के बारे में

सपनें जो मुझे सोने नहीं देते!!

पुरस्कार और सम्मान

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2023-04-11
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-12-09
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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-04-28

प्राची सिंह मुंगेरी की पुस्तकें

प्राची सिंह मुंगेरी की डायरी

प्राची सिंह मुंगेरी की डायरी

दिल से निकले अल्फाजों को एक तस्वीह में पिरोकर भावनाओं से श्रृंगार किया है। कुछएक चिट्ठियां लिखीं है शर्माजी की याद में! उम्मीद है दिल को छूकर मन को सुकून पहुंचाएगी। कविता और नज़्म से कोरे पन्नों को जज्बातों से रंग दिया है उम्मीद है पाठकों को निराश नह

33 पाठक
135 रचनाएँ
1 लोगों ने खरीदा

ईबुक:

₹ 105/-

प्राची सिंह मुंगेरी की डायरी

प्राची सिंह मुंगेरी की डायरी

दिल से निकले अल्फाजों को एक तस्वीह में पिरोकर भावनाओं से श्रृंगार किया है। कुछएक चिट्ठियां लिखीं है शर्माजी की याद में! उम्मीद है दिल को छूकर मन को सुकून पहुंचाएगी। कविता और नज़्म से कोरे पन्नों को जज्बातों से रंग दिया है उम्मीद है पाठकों को निराश नह

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मुंगेरी अल्फ़ाज़ भाग -2

मुंगेरी अल्फ़ाज़ भाग -2

दिल हमेशा शांत नहीं होता! धड़कने लय बन आते - जाते सांसों की सुरमई संगीत से जो सतरंगी धूप खिलाता है उन्हीं धूप के तपतपाते मन से कुछ प्रेम के छांव चुरा लाएं हैं ! ज़िंदगी तुझे सुकूं पहुंचाने को।

16 पाठक
28 रचनाएँ
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ईबुक:

₹ 92/-

मुंगेरी अल्फ़ाज़ भाग -2

मुंगेरी अल्फ़ाज़ भाग -2

दिल हमेशा शांत नहीं होता! धड़कने लय बन आते - जाते सांसों की सुरमई संगीत से जो सतरंगी धूप खिलाता है उन्हीं धूप के तपतपाते मन से कुछ प्रेम के छांव चुरा लाएं हैं ! ज़िंदगी तुझे सुकूं पहुंचाने को।

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प्राची सिंह मुंगेरी के लेख

पानी

26 जुलाई 2024
1
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पानीमैं पानी तुम प्यास होमेरे ज़िंदगी की आस होबनके किनारा,मैं तेरे संग संग चलताजो तुम बन जाती सरितामैं किनारा, सप्रेम तेरा आलिंगन करता।मैं पानी तुम प्यास हो नहीं बुझती मन से,क्या तुम आग हो ज

गज़ल

23 जुलाई 2024
1
0

गज़ल नफ़ा और वफ़ा सब संभाल लेते हम,इक बार इश्क़ में पड़ते हम भी और गुलज़ार हो जाते!कमियां बहुत थी मुझमें, नुक्स उसमें तरासता रहा,वो मिजाज़ से रहा हमेशा इश्कियां और अब ये बाज़ार उसके नाम से सरेआम

प्रेम चेतना

21 जुलाई 2024
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"प्रेम,प्रतीक्षारत होता है प्रेमी नहीं प्रेमी ज़िंदगी जैसे लोग हैं जो देह,देह भटकते हैं सम्पूर्ण होने की चाह में!प्रेम,अनंत हो सकता है सम्पूर्ण नहीं!प्रेम,गीत हो सकता है गुनगुनाया जा सकता है लेकि

संघर्षरत स्त्रियां

19 जुलाई 2024
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संघर्षरत स्त्रियां संघर्षरत स्त्रियां,नहीं डरती है धूप सेनिकल जाती है घरों से, खड़ी दोपहरी में ऐसा लगता है कि संघर्ष को डरा देना चाहती हो अपने अस्तित्व लड़ाई में और बना लेना चाहती है वो मुक

ज़ख्म, दिल से लगाना नहीं भूलते

18 जुलाई 2024
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ज़ख्म,दिल से लगाना नहीं भूलतेसूखे गुलाब मिले किताबों से उसे चूमना नहीं भूलतेज़ख्म ये ज़ख़्म सिलसिला है ये मुहब्बत कालगाके इसे दिल से फिर इसे दिल से अलग किया नहीं जाता सूखे गुलाब मि

मरम्मत ऐ इश्क़

16 जुलाई 2024
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"मरम्मत इश्क़ का करता हूं और दिल पर पैबंद लगाता हूं नुक्सा लिखा करता हूं आंखों पर और ज़माने को इज़हार ऐ इश्क बताता हूंसुनो तुम डूबना नहीं इश्क़ काम है निक्कमों काकामगारों को, मैं इससे ब

ख़्वाब

10 जुलाई 2024
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"बिछड़ के ख़्वाब आंखों से, रात का ये सिलसिला कैसा होगा तू मेरी आंखों में जागता रहेगारात सदियों में पल - पल गुजरता रहेगा।"प्राची सिंह "मुंगेरी"

मैं बहती गंगा की धार

8 जुलाई 2024
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"तू पाषाण शिला की आलेख सामैं बहती शीतल नीर की धारछुके तुझे शीतल कर दूंमैं ऐसी मग्न मझधार!तू स्थिर,मैं चंचलतू मौन समेटे मन में मैं बहती गंगा की निर्मल धारछू लूं तुझे औरआगे बढ़ जाऊं नहीं है मु

ऐ मन तू काशी बन जा

23 जून 2024
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"ऐ मन तू काशी बन जादेवता जहां पे वास करेआंखें तू अस्सी घाट सी हो जाय जहां आरती में सब शामें प्रकाशमय हो जाए।"प्राची सिंह "मुंगेरी "

आ मिलेंगे कभी

24 अप्रैल 2024
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"आ मिलेंगे कभी नैनों के घाट परमन का दीप जलाए रखना सुलभ , सरल, शुभ इंतज़ार करनाख़ामोशी की ज़ुबां से प्रेम की सारी रस्में पूरी करना।"प्राची सिंह "मुंगेरी"

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