प्रकृति मे विभिन्न रंग होते है।कभी सुखद कभी दुखद।जब
प्रक्रिति अपने संतुलन को बचाने के लिए रोद्र् रूप धारण करत है तो उसे प्रकृतिक् आपदा कहते है।मानव् इससे बचने के लिए अनेक उपक्रम करता है पर अंत मे जीत प्रकृति कि ही होती है।मानव को इससे बचने के लिए प्राकृतिक दोहन रोकना होगा।