ठण्डी के बिगुल ठण्डी का बिगुल शंख बजे ज्यों ही ठण्डी के, मौसम ने यूं पलट खाया, शीतल हो उठा कण-कण धरती का, कोहरे ने बिगुल बजाया!!हीटर बने हैं भाग्य विधाता,चाय और कॉफी की चुस्की बना जीवनदाता,सुबह उठ के नहाने वक्त, बेचैनी से जी घबराता!! घर से बाहर निकलते ही, शरीर थरथराने लगता, लगता सूरज