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प्रवीण मिश्र पत्रकार / एडवोकेट मुझे पढ़ने और लिखने में काफी आत्मसकून का अनुभव होता है, कहते है कि ज्ञान कभी जाया नही जाता और इस पर माया का प्रभाव नहीं चलता। हर सांस कुछ सिखाती है और हर धड़कन कुछ कह कर जाती है। इससे समाज को रूबरू कराना भी अपना दायित्व है।

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बनते बिगड़ते जमाने के रंग

बनते बिगड़ते जमाने के रंग

सभी को सदर प्रणाम, कैंची साइकिल चलाने के सुख से शुरू हुई जीवन के इस उलटफेर में न दिन रुका न रात थमी। भगवान से ज्यादा शक्तिशाली समझने वाले लोगो ने भी अपने विकास के रफ्तार को दिन दूना रात चौगुना गति पकड़ने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। लेकिन अद

5 common.readCount
13 common.articles
common.personBought

ईबुक:

₹ 16/-

बनते बिगड़ते जमाने के रंग

बनते बिगड़ते जमाने के रंग

सभी को सदर प्रणाम, कैंची साइकिल चलाने के सुख से शुरू हुई जीवन के इस उलटफेर में न दिन रुका न रात थमी। भगवान से ज्यादा शक्तिशाली समझने वाले लोगो ने भी अपने विकास के रफ्तार को दिन दूना रात चौगुना गति पकड़ने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। लेकिन अद

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स्वर्ग उनकी हवेली में सिमट कर रह गया

15 जुलाई 2023
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इनसानियत पर भारी हैं अल्लाह और राम इन्सानियत के बीच में इनका न कोई काम, इन्सानियत को मान लो इनसान तुम बनो दुनिया में आये हो तो कुछ काम तो करो। इनसान ही इनसान का दुश्मन है बन गया कोई सर कलम करे

जयकारा लगवाओ तुम

6 जनवरी 2023
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लेव लागी आचार संहिता, जयकारा लगवाओ तू। दम है तो आयोग के बूटी, सूंघौ नाचौ गाओ तुम।। वैतरणी चुनाव की आयी, एसी से बाहर आय गये। गांव के लीक से निकरे, पगडंडी पर धूर वैय खाय गये।। चढा नशा सब रुप

जीएसटी अफसर, आगन्तुक बाबूजी

20 जुलाई 2022
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मध्यम वर्ग मंहगाई से करता देखो दो-दो हाथ, कोई भी सामान खरीदे, जीएसटी डायन साथ। कमर तोड़ मंहगाई में बस निकले एक ही बात, अब तो आटा चावल से जुड़ गया जीएसटी का नात।। माह में वेतन ऐसे मिलता जैसे ईद का

कौन नहीं है मंगता जग में

5 मार्च 2022
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कौन नहीं है मंगता जग में -------------------------- कौन नहीं है मंगता जग में, किससे किसको उम्मीद नहीं। कौन ना पावैय मोती मानुष, किसके नसीब में चून नहीं।। दर दर दरखास्त लगाते देखा, सर पटक के ह

कलम चोर पुलिस की करनी

4 दिसम्बर 2021
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<p>कलम चोर पुलिस की करनी</p> <p><br></p> <p>कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई,</p> <p>पांडेय जी जबसे आए हो

महिमा अपार है

13 नवम्बर 2021
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<p>नगर पालिका गोण्डा की महिमा अपार है</p> <p>--------------------------------------</p> <p><br></p>

कोई रोए ना

13 नवम्बर 2021
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<p>कोरोना का मतलब है कोई रोए ना,</p> <p>दर्द मिले ऐसा कि कोई सोए ना।</p> <p>बेतहाशा सा बैठ के बस निह

कोरोना में कलमकार की कलम से

13 नवम्बर 2021
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<p>दृश्य विहंगम तपन चरम पर,</p> <p>और करम पर रोना है।</p> <p>आज मरा वह समाजसेवी,</p> <p>जिसको नहीं क

सपना

13 नवम्बर 2021
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<p>मोदी योगी का है ये सपना,</p> <p>राम साकार करें मिशन अपना।</p> <p>जनता कुछ भी जान ना पाए,</p> <p>ज

गवाह मेरा भी बुलाया जाए तो बेहतर होगा

13 नवम्बर 2021
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<p>अब सबकुछ बताया जाय तो बेहतर होगा.</p> <p>कुछ भी न छुपाया जाय तो बेहतर होगा ;</p> <p>क़ाज़ी मुंसिफ

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