shabd-logo

प्रेम का नगर

8 सितम्बर 2021

37 बार देखा गया 37
प्रेम का नगर 

तुम तोड़ दो हेय की उस दीवारों को 
जो रोकती हैं तुम्हें अपना कहने से किसी को 

तुम जोड़ लो ईंट प्रेम की 
जो खड़ी करें नींव विश्वास की ।

रंग से न पहचानों किसीको 
भाषा का न हो भ्रम जाल कोई 
न मनें अपनत्व की दीपावली 
ऐसा न बीते साल कोई ।

हों विश्वास की दीवारें 
हों उम्मीदों के रोशनदान जहाँ 
लड्डू प्रेम के बट जाएं 
हो स्वादिष्ट सादगी का खानपान जहाँ ।

विश्वास की ही हो मंज़िल
विश्वास की ही हो हर डगर 
चलो बसाते हैं मिलकर 
प्रेम से भरा एक नगर ।

©® Devanshu Tripathi 
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सप्रेम नमस्कार मेरे मित्रों को ।💐💐💐💐💐
Pawan

Pawan

Bahut sunder likha hai aapne devanshu ji 🙏💐💐

8 सितम्बर 2021

Devanshu Tripathi

Devanshu Tripathi

11 सितम्बर 2021

जी सह्रदय आभार ।

Shivansh Shukla

Shivansh Shukla

शानदार भैया जी वर्णन करने में निशब्द हूँ मैं 👌👌👌✌✌❣️❣️❣️❣️🙏🙏🙏🙏🙏

8 सितम्बर 2021

Devanshu Tripathi

Devanshu Tripathi

11 सितम्बर 2021

जी धन्यवाद

4
रचनाएँ
Devanshu Tripathi की डायरी
0.0
मेरे द्वारा लिखे गए समस्त लेखों में आपको जीवन दर्शन की यात्रा मिलेगी ।

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए