shabd-logo

प्रकृति और केरल

14 नवम्बर 2024

1 बार देखा गया 1

अकूत जलराशि समाहित करने वाली नदियों और दूधिया झरनों का सौष्ठव, देखते ही बनता है। गुलाबी कमल संजोये, चौड़ी पाट वाली झीलों तथा घुमावदार रास्तों के बीच, अनन्नास की खेती और चाय के बागानों की झलक; घाटियों में सूरज की किरणों का नर्तन...माचिस की तीलियों जैसे घरों का रंगबिरंगा फैलाव.
आसमान से उतरने वाले बादल,  पहाड़ी चोटियों से टकराकर, संघनित होते हैं और उनकी वाष्प, जलराशि का रूप ले, घाटियों में उतर जाती है. तरह तरह की वनस्पति और पशु- पक्षी, नयनाभिराम दृश्य उपस्थित करते हैं.
धान के खेतों में, निश्चित दूरी पर खड़े, हरे भरे पादप. जलमग्न भूमि के बीच, चौड़ी मेड़ें…पपीते, नारियल और सुपारी के वृक्षों का विस्तार… ऊँचाई के संग, रंग बदलती आकाश की पर्तें!
सब कुछ, कितना मनोहारी है! केरल को, ईश्वर का अपना देश, यूँ ही नहीं कहा जाता!





किताब पढ़िए

लेख पढ़िए