जीवन के खट्टे- मीठे अनुभवों की कहानियां .
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अच्छी लेखन
बहुत अनोखी और सुन्दर कहानी लिखती है आप,बांध लेती है पाठक को और लेखों का इंतज़ार रहेगा
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<p>केतकी आज फिर पीछे पड़ गयी थी, ‘ चल यार, आज कोई मूवी देखने चलते हैं’ ‘लेकिन प्रोजेक्ट रिपोर्ट लिखनी
<p>‘चल फटाफट...अभी शॉपिंग बाकी है ...तेरे लिए नये सैंडल और लिपस्टिक लेनी है’ ‘सैंडल तो ठीक है...पर ल
<p>नमिता अजब उलझन में थी. कोरोना काल में हवाई- यात्रा, अविवेकपूर्ण थी; पर उसके पास, दूसरा विकल्प भी
<p>समीरा का जी बस में नहीं था; ममा का फोन आया था. इधर- उधर की बात करने के बाद, कहने लगीं, ‘सिमो...शा
<p>पूरा परिवार, गाँव के रिहायशी मकान में, छुट्टियाँ मनाने आया था. अगले ही दिन, कुनबे की इकलौती बेटी
<p>नव्या कॉलेज- लाइब्रेरी से निकलकर, उस शानदार रेस्तरां तक आ पहुंची थी. वहाँ मंद- मंद संगीत की स्वरल
<p>जबसे नमित अपने ननिहाल से आया है, लगातार रोये जा रहा है. वह रह रहकर, अपनी माँ मीनाक्षी को, कोस रहा
<p>तनु दुविधा में थीं. माइक ऑटोवाले ने, उनके पति सुकेश को फोन करके, अच्छी- खासी रकम उधार माँगी
<p>साक्षात्कार का दूसरा दौर चल रहा था. फैशन की दुनियाँ में तहलका मचा देने वाली, अंतर्राष्ट्रीय कम्पन
<p>लॉकडाउन के दौर में, वह चिरपरिचित चेहरा, मानों कहीं खो सा गया है...उस मधुर कंठ से निःसृत, अन
<p>अमन शर्मा झल्ला रहे थे. उनकी भूरी वाली टी. शर्ट पर, इस्तरी नहीं फेरी गई. देविना रोज रोज की नाराजग
<p>‘आंटी...कल फेसबुक पर, तन्वी की फोटो देखी. शी वाज़ लुकिंग गॉर्जियस! उसके साथ क्यूट सा एक लड़का था...
<p>“गोदी होरिलवा तब सोहैं, जब गंगा पै मूड़न होय गंगा पै मूड़न तब सोहैं, जब गाँव कै नउवा होय” बुलौवे वा
<p>सुमेर मिसिर हिचकते हुए, उस दहलीज़ तक आ पहुंचे थे, जहाँ कभी आने की, सोच भी नहीं सकते थे. क्या करते?
छात्रावास में, पुनः, एक ‘महत्वाकांक्षी’ योजना, बनी थी. हर बार की तरह, इस बार भी, योजना की सूत्रधार थी- दीपाली. शहर के सुदूर, जागीर-मेला- स्थल पर, प्रदर्शनी लगी थी. मेले में जाना चाहिए या नहीं- यह निर्
मुनीश चौधरी आज बहुत बेचैन थे. दिन के आठ बजे थे; फिर भी बिस्तर से उठने को, उनका जी नहीं मान रहा था. रोज तो साढ़े छः बजे ही उठकर, सैर पर चले जाते थे; किन्तु...! आज ११ दिसम्बर था. सुहासी का जन्मदिन. सु
लीला, बुआ संग, एक विवाह- समारोह में आई है...एक छोटे से कस्बे में होने वाली, बड़ी सी घटना! बड़ों के सामने, हाथ भर का पल्लू डालने वाली औरतें, गुँथे आटे