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" सफर "

12 अप्रैल 2022

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ज़िंदगी के इस सफर में,
मुझे चलते ही जाना है।
लाख आये मुश्किलें पर,
आगे बढ़ते ही जाना है।

सूरज की प्रचंड किरनों में,
तप कर ज्वाला जैसा बनना है।
चन्दा कि शीतल चांदनी बनकर,
आसमान मे जगमगाना है।

फूलों की महकती खुश्बू की तरह,
इस जगमें मुजे बिखर जाना है।
अविरत बहती इस नदियों की तरह,
पूरे संसार मे बहते ही जाना है।

ज़िंदगी के इस सफ़र में,
मुजे चलते ही जाना है।
लाख आये मुश्किलें पर,
आगे बढ़ते ही जाना है।

पापकी प्यारी गुड़िया बनकर,
हर सपनों को पूरा करना है।
माँ की सबसे अच्छी दोस्त बनकर,
हर सुख और दुःख बाँटना है।

भैया की नटखट लाड़ली बनकर,
हर कदम साथ साथ चलना है।
बहेना की प्यारी दुलारी बनकर,
हर पल उसकी आँखों में बसना है।

ज़िंदगी के इस सफर में,
मुजे चलते ही जाना है।
लाख अये मुश्किलें पर,
आगे बढ़ते ही जाना है।

भारतमाँ की जाबाज़ बेटी बनकर,
हर दुश्मनों से डटकर लड़ना है।
मेरी भारत माँ की रक्षा के लिए,
अडग,अदिखम ख़ड़े रहना है।

जीवन के इस रंगमंच पर मुझे,
हर किरदार को निभाना है
सदा ही ज़िंदा रखनी है शान मेरे देश की,
भारत माँ के लिए प्राण न्योछावर करना है।

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