राम मंदिर
14 जनवरी 1992. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कन्याकुमारी से कश्मीर की यात्रा पर थे. उसी दिन उनकी यात्रा अयोध्या पहुँची। प्रधानमंत्री ने अयोध्या में राम जन्मभूमि में कदम रखा. रामलला टेंट में थे. न सिर पर छत, न मंदिर की भव्यता, न आज जैसा उत्सवी माहौल। रामलला की हालत देखकर प्रधानमंत्री भावुक हो गए.
जैसे ही वजह रामलला के मंदिर के बाहर पहुंचे, कुछ पत्रकार भी वहां पहुंच गए. उन्होंने सवाल किया कि आप दोबारा यहां कब आएंगे? नरेंद्र मोदी ने तपाक से जवाब दिया, जब राम मंदिर बन जाएगा, तभी अयोध्या लौटूंगा.उन्होंने कहा था कि मंदिर बनने के बाद ही अयोध्या लौटूंगा. राम मंदिर आंदोलन के नेताओं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 32 साल पहले का संकल्प पूरा हो गया है.
कन्याकुमारी, कश्मीर से लेकर अयोध्या तक की इस यात्रा के अगुवा मुरली मनोहर जोशी ने की थी. तब नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक से हटकर गुजरात के बीजेपी महासचिव बने थे. नरेंद्र मोदी अयोध्या में राम मंदिर को लेकर शुरु से बेहद भावुक थे. साल 1998 में मॉरीशस में अंतरराष्ट्रीय रामायण कॉन्फ्रेंस में भी उन्होंने यह दोहराया था कि अयोध्या राम लला का है, जब तक वह विराजेंगे नहीं, रामभक्त आंदोलन नहीं रोकेंगे.
टेंट से भव्य मंदिर तक रामलला ने कैसे बिताए 32 साल?
22 जनवरी को रामलला अयोध्या में विराजमान होने जा रहे हैं. अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह से एक सप्ताह पहले 16 जनवरी से श्री राम जन्मभूमि मंदिर परिसर में वैदिक अनुष्ठान शुरू होने जा रहे हैं। देवताओं का आह्वान किया जाएगा, प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां पूरी की जा रही हैं। ये तस्वीर याद दिला रही है कि कैसे रामलला को लंबा वक्त टेंट में गुजारना पड़ा था, अब वक्त आ गया है कि वो अपने महल में विराजें.