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रामायण कालीन नारी

10 सितम्बर 2021

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*꧁༻𖣘✠देवी अहल्या जी ✠𖣘༺꧂* कड़ी-०१

प्रस्तुति- *सनातन पुस्तक प्रचार केन्द्र* ➒➊➋➎➎⓿➊➏➌➌ मित्रों🙏🏻 मानस पीयूष ,बाल काण्ड खण्ड १ में श्री नाम वंदना और नाम महिमा प्रसङ्ग में  १/२४ /३-५ के लिए किए गए व्याख्या की पाद टिप्पणी में एक श्लोक मिलता है *अहल्या द्रौपदी कुन्ती तारा मन्दोदरी तथा। पञ्चकं ना स्मरेन्नित्यं महापातकनाशनम्।* अर्थात् अहल्या, द्रौपदी ,कुन्ती, तारा और मंदोदरी यह पञ्चक मनुष्य नित्य स्मरण करे, यह महा पातक का नाशक है। *'पञ्चकं ना' का अपभ्रंश होकर पञ्चकन्या हो गया। बस इसी का लोगों में व्यवहार हो गया और देवी अहल्या सहित अन्य चारो को पंच कन्या कहा जाने लगा।* एक जगह कुंती के स्थान पर माता सीता जी का भी नाम है जो हो सकता है कुन्ती का ही अन्य नाम हो। अब लेख के मुख्य विषय के तरफ* इस धारावाहिक लेख  *रामायण कालीन नारी के अंतर्गत देवी अहल्या जी पर सटीक और प्रामाणिक जानकारी  युक्त यथासम्भव विवेचना प्रेषित की जाएगी।* मित्रों, विख्यात मुनि *गौतम जी की पत्नी,जनक जी के पुरोहित सदानन्द जी की माता और साक्षात ब्रह्मा जी द्वारा निर्मित देवी अहल्या जी को श्रीरामजी ने मिथिलागमन के दौरान शाप मुक्त किये थे।* यों तो श्री राम चरित मानस जी में *केवल एक बार ही आया है अहल्या शब्द*—  *परसि जासु पद पंकज धूरी। तरी अहल्या कृत अघ भूरी॥ (१/२२२/५) *पर मानस में अन्य स्थानों पर अहल्या को 'तापस तिय', 'रिषि पत्नी', 'मुनि पत्नी', 'गौतम नारि’, ‘गौतम तिय’, आदि ही कहा गया है।* देवी अहल्या जी की *विस्तृत कथा, शाप आदि का वर्णन विभिन्न धर्म ग्रन्थों में पाया जाता है, जिसमें भिन्नता भी है।* कल्पभेद से सभी ग्रन्थों की कथाओं को स्वीकारा जा सकता है। *इन्ही सब गर्न्थो के आधार पर इस लेख के माध्यम से आप सभी के सामने कथा रोज प्रेषित की जाएगी।*-═══════-═══════

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Poonam kaparwan

Poonam kaparwan

🙏 🙏 अति सुंदर आध्यात्मिक ज्ञान ।

10 सितम्बर 2021

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रामायण कालीन नारी
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