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असली इंडियन

10 अक्टूबर 2015
2
1

कबड्डी वाकई पूरी तरह से भारतीय खेल है…सब एक साथ मिलकर एक ऐसे आदमी को नीचे गिराने में लगे रहते हैं…जो हिम्मत करके आगे आता है…

थोड़ा बचपना

4 सितम्बर 2015
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जब पापा कभी ठीक 1:30 बजे हमसे टाइम पूछते थे और हम डेढ़ कहने के बजाय बोलते थे - पापा साढ़े एक बज रहा है...आज भी साला कभी कभी टाइम समज में नही आता है और मुहँ से निकल जाता है क्या करू बड़ा हो गया तो क्या हुआ पापा मम्मी की नज़र में तो अभी भी बच्चा ही हु रवि

सब्द

4 सितम्बर 2015
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मेने जब भी सब्दो को तोडा मरोड़ा तब तब मुझे कुछ नया ही मिला मेने जब भी किसी इंसान पर दया की वो इंसान मुझे बार बार याद आया क्युकी दया का उल्टा याद होता है !आपका रवि

sachai

3 सितम्बर 2015
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गंदगी तो पैसो वालों ने फैलाई हैवरना !गरीब तो सडको से थैलियॉ तक उठा लेते हैंआपका रवि

गुम्मकडी

1 सितम्बर 2015
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कुछ महा खुराफाती लड़के सनग्लासेज धूप से बचने के लिए नहीं बल्कि इसलिए पहनते हैं ताकि कन्याओं को पता ना चल सके की वो उन्हें टाप रहे हैं

चोरी एक आत्मिक सत्य

1 सितम्बर 2015
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जब में एक बार बाजार में जा रहा था तब मेरे मन में खयाल आया की एक ठेले गाड़ी से एक एप्पल उटाह लू जैसे ही में थेलेगाड़ी के पास गया ,और सेब उठाने वाला ही था पेट में नाभि के पास एक अजीब सी क्रिया हुई ! फिर मेने सोचा की ये तो नेचुरल हे तथा सब होती हे फिर भी लोग अपने मन की आवाज नही सुनकर ये चोरी जैसा ख़राब क

प्याज की नोकजोक

30 अगस्त 2015
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मोदी सर्कार की कृपा और प्रकोप से अब ऐसे होंगे फ़िल्मी डायलॉग....प्याज कोई खेल नहीं!बढती प्याज की कीमतों के हिसाब से जल्दी ही फिल्मो के डायलाग इस प्रकार के होंगे !मुलाहिजा फरमाईये।~~~~~~~~~~~~मेरे करण अर्जुन आयेंगे;और दो किलो प्याज़ लायेंगे. . .ये ढाई किलो के प्याज़ जब आदमी लेता है ना;तो आदमी उठता नही

प्याज पर नोक-जोक

30 अगस्त 2015
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मोदी सर्कार की कृपा और प्रकोप से अब ऐसे होंगे फ़िल्मी डायलॉग....प्याज कोई खेल नहीं!बढती प्याज की कीमतों के हिसाब से जल्दी ही फिल्मो के डायलाग इस प्रकार के होंगे !मुलाहिजा फरमाईये।~~~~~~~~~~~~मेरे करण अर्जुन आयेंगे;और दो किलो प्याज़ लायेंगे. . .ये ढाई किलो के प्याज़ जब आदमी लेता है ना;तो आदमी उठता नही

ख़ुशी और थोड़ा प्यार

30 अगस्त 2015
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कल जब सब लोग ख़ुशी मना रहे थे तो में भी पीछे नही रहा पर सभी लोगो को एक साथ देख कर दिल में अजीब सा एक क्वेश्चन था की - जब ये सब एक एक करके अपने अपने घर चले जायेंगे और सम्भवत में भी पढ़ने चला जाऊंगा तो केशे अपने मन को समजाऊँगा पर इनका प्यार मुझे टूटने नही देगा आपका रवि

ख़ुशी और थोड़ा प्यार

30 अगस्त 2015
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कल जब सब लोग ख़ुशी मना रहे थे तो में भी पीछे नही रहा पर सभी लोगो को एक साथ देख कर दिल में अजीब सा एक क्वेश्चन था की - जब ये सब एक एक करके अपने अपने घर चले जायेंगे और सम्भवत में भी पढ़ने चला जाऊंगा तो केशे अपने मन को समजाऊँगा पर इनका प्यार मुझे टूटने नही देगा आपका रवि

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