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रविंदर विज की डायरी

रविंदर विज

10 अध्याय
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ravinder vij ki dir

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पुस्तक के भाग

1

शेर

7 अगस्त 2016
0
2
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मुतासिर बहुत करती हो जो तेरी इनायत है मुझे तेरे चेहरे की कशिश ओ आँखों को चाहत है मुझे तेरी रूमानी तबियत ओ मीठा अंदाज़ ए गुफ्तगू जान की कसम फख़्त तुमसे ही मुहब्बत है मुझे 

2

शेर

16 अगस्त 2016
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3

शेर

16 अगस्त 2016
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4

दिल में चिराग जलाया है अब हवा जाने या खुदा / उम्मीद का दामन थामा है मेरी वफ़ा जाने जाने

16 अगस्त 2016
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जाने या खुदा / मुहब्बत के अंजाम से नावाकिफ हूँ  फिर भी मगर / रह कुर्बान पर यक़ीन है अब क़ज़ा जाने या खुदा 

5

शेर

16 अगस्त 2016
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मेरे हर शेर में तेरा ज़िक़्र है पर तुम को सुनाऊंगा नही / अनकहे ज़ज़्बात कहे है पर तुमको सुनाऊंगा नही / यह सच है के मैंने सिर्फ तुम से मुहब्बत की है / हर शख्स वाकिफ है फखत तुमको बताऊंगा नही !!!! 

6

शेर

16 अगस्त 2016
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दिल में चिराग जलाया है अब हवा जाने या खुदा / उम्मीद का दामन थामा है मेरी वफ़ा जाने या खुदा / मुहब्बत के अंजाम से नावाकिफ हूँ फिर भी मगर / रह कुर्बान पर यक़ीन है अब क़ज़ा जाने या खुदा दिल में चिराग जिया 

7

शेर

17 अगस्त 2016
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तेरी ज़ुबाँ से निकला हर लफ्ज़ इनायत है मेरे लिए मुझसे तबादला ए ख्याल हो तो उल्फ़त है मेरे लिए ज़िन्दगी मे तुम से ही मसर्रत ओ खालूस हासिल है चाहे तेरी फ़ितरत ही सही यह तो चाहत है मेरे लिए

8

शेर

17 अगस्त 2016
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9

शेर

17 अगस्त 2016
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10

website

4 अक्टूबर 2016
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websit poori tarh theek kar dijiye ,baki to sb chalta hi rahega !!!!

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