shabd-logo

रियल लाइफ का मांझी : नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी

23 सितम्बर 2016

599 बार देखा गया 599
featured image

article-image



कोई उम्मीद बर नही आती, कोई सूरत नज़र नही आती |

मौत तो एक मोयाइन हैं, नींद रात भर क्यूँ नही आती,

पहले आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी ,अब किसी बात में नही आती ||


ये संवाद उस शख़्श के है जिसने अपने संघर्ष के दिनों में वाचमैन से लेकर मेडिकल स्टोर के केमिस्थ जैसे साधारण कार्य को भी किया, इस उम्मीद पर की प्रयास करने वालों की कभी हार नहीं होती, हमेशा कायम रहा|बात हो रही है आधुनिक भारतीय सिनेमा के उदीयमान अभिनेता नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी की| नवाज़ुद्दीन का बचपन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले में बीता| यह बात उन्होने बताई की उनकी पहचान "काला कलूटा"(Black Sheep) वाली रही थी| 7 भाइयो और २ बहनों वाले परिवार में शिक्षा मिलना एक मुश्किल कार्य था, फिर भी नवाज़ ने 'गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय'से B.Sc की डिग्री अर्जित की| पर बचपन से सिनेमा का शौक लिए नवाज़ को एक अभिनेता बनना था| अपने सपनो को पूरा करने के लिए वह दिल्ली गये और थियेटर मे काम करना शुरू कर दिया|बकौल नवाज़ " मेरे पास थियेटर के लिए एक पैसा भी नही था, इसीलिए मैने वाचमैन की नौकरी भी की, ये चीज़ें आसान नही थी, लेकिन सब कुछ होता गया| 'नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, दिल्ली' मे मैने दाखिला लिया और उसके बाद ४ साल तक वही काम किया और फिर २००० मे मुंबई की ओर रुख़ किया|

अपने जीवन के बुरे दौर २००४ में नवाज़ के पास मुंबई में रहने के लिए कोई घर नही था| तब उन्होने अपने साथ के ही एक सीनियर से सहायता माँगी| खाना बनाने की शर्त पर उन्हे रहने की जगह मिल गयी| काम की तलाश ने नवाज़ुद्दीन को जीवन का नया रंग दिखाया और वह था, संघर्ष(Struggle)| पर किसी भी अच्छे अभिनेता के लिए यह सबसे ज़रूरी चीज़ होती है|शुरू के ४-५ सालों में नवाज़ को छोटे-छोटे रोल मिलते रहे| 'सरफ़रोश','मुन्नाभाई MBBS','ब्लैक फ्राइडे' जैसी फिल्मों में इनकी बहुत छोटी भूमिका थी| उस दौर के बारे में नवाज़ ने यह बताया "मैं हमेशा सोचता था की मैं अपना समय खराब कर रहा हूँ,लेकिन मैं अपने घर वापस नही गया| मैने पूरा समय अपने अभिनय को दिया, क्योकि मुझे डर था की कही मेरे दोस्त मुझे यह कहकर ना चिढ़ाए कि अरे हीरो बनने गया था, वापस लौट आया| इस दौरान उन्होने स्वयं इरफ़ान ख़ान के साथ एक शार्ट फिल्म भी की| नवाज़ को शायद अपनी काबिलियत पर भरोसा था| 'पीपली लाइव','न्यूयार्क' में उनके अभिनय को सराहा गया| अब चीज़े बदल रही थी| ' कहानी ' में उन्होने काफ़ी असरदार अभिनय किया| अनुराग कश्यप की 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' ने इनके करियर को नयी दिशा दी| फैजल ख़ान के किरदार में इन्होने अपनी अभिनय क्षमता को दिखाया|इस फिल्म के लिए इन्हे 'नेशनल फिल्म अवार्ड' भी मिला| 'तलाश' में आमिर ख़ान की मौजूदगी के बाद भी नवाज़ ने अपने अभिनय से दर्शको का दिल जीता| 'किक','बजरंगी भाईजान' और 'मांझी' से अपने आप को फिल्म इंडस्ट्री में खुद को स्थापित किया| भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी इनकी फिल्मों की धूम रही,'बर्लिन फिल्म महोत्सव', कांन्स फिल्म महोत्सव' में भी इनकी फ़िल्मो की चर्चा रही|

इतनी सफलता के बावजूद नवाज़ ने अपना पूरा ध्यान अभिनय पर ही रखा| एक इंटरव्यू में नवाज़ ने कहा-" कुछ समय पहले में यह सोचता हूँ की अगर मुझे यह फ़िल्मे आज से ५ साल पहले मिल जाती,शायद मैं तब इतना अच्छा न कर पाता,उस संघर्ष ने ही मुझे आज इस मुकाम तक पहुँचाया हैं| इन्ही की फिल्म का एक संवाद इनकी मेहनत को सफल दिखाता हैं-

"""" शानदार, ज़बरदस्त,ज़िंदाबाद!""""

वागीश मिश्र की अन्य किताबें

सजबकिजक डीस्कवनसकनवक सवकवक

सजबकिजक डीस्कवनसकनवक सवकवक

बढ़िया भौकाल बहुत मस्त !! एक्सट्रिमली हिलरोउस

24 सितम्बर 2016

Himanshu Ranjan

Himanshu Ranjan

बढ़िया. ....महोदय :-

23 सितम्बर 2016

1

रियल लाइफ का मांझी : नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी

23 सितम्बर 2016
0
5
2

कोई उम्मीद बर नही आती, कोई सूरत नज़र नही आती | मौत तो एक मोयाइन हैं, नींद रात भर क्यूँ नही आती,

2

3 रानियाँ

26 सितम्बर 2016
0
1
0

रामायण की कहानी राम जन्म से लेके रावण की हत्या तक ही केंद्रित है, उससे पहले और बाद के बारे में बहुत कम लोग ही जानते है. ऐसे में जिन पात्रो को ज्यादा महत्त्व नही मिला हमारी कोशिश है की हम उनके बारे में भी अपने मित्रो को बताये, ऐसे में भगवान राम के पिता राजा दशरथ की जिंद

3

ओटो वॉन बिस्मार्क

20 जून 2017
0
1
1

19वीं शताब्दी के इतिहास में बिस्मार्क का नाम जर्मनी के एकीकरण के लिए विशेष प्रसिद्ध रहेगा । बिस्मार्क ने अपनी विलक्षण योग्यता एवं प्रतिभा से जर्मनी को यूरोप के प्रथम श्रेणी के देशों में अग्रिम पंक्ति में ला खड़ा किय

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए