रामायण की कहानी राम जन्म से लेके रावण की हत्या तक ही केंद्रित है, उससे पहले और बाद के बारे में बहुत कम लोग ही जानते है. ऐसे में जिन पात्रो को ज्यादा महत्त्व नही मिला हमारी कोशिश है की हम उनके बारे में भी अपने मित्रो को बताये, ऐसे में भगवान राम के पिता राजा दशरथ की जिंदगी से जुड़े कुछ खास पहलु है जो उजागर करते है | राजा दशरथ के कौशल्या सुमित्रा और कैकई तीन पत्निया थी, ये सब जानते है लेकिन उनसे दशरथ से कैसे शादी हुई और तीनो से कैसे ताल्लुकात थे ये कंही नही पता चलेगा. सबसे पहले कौशल्या जी के बारे में बताते है, कौशल्या जी कौशल (वर्तमान छत्तीसगढ़) देश के राजा सकुशल की पुत्री थी. राजा ने विवाह के लिए जगह जगह अपने दूत भेजे लेकिन दशरत जी ने उनसे शादी के लिए युद्ध या मैत्री की चुनौती भेज दी. सुकुशल ने युद्ध का मार्ग चुना जिसमे दशरथ की जीत हुई और ऐसे हुई थी कौशल्या और दशरथ की शादी, लेकिन फिर भी दशरथ ने सुकुशल के सामने ही कौशल्या को महारानी बनाने की घोषणा कर उनका मान भी रख लिया. कौशल्या पिछले जन्म में मणीशत्रुपा नाम की कन्या थी जिन्होंने विष्णु को प्रसन्न कर उन्हें अपने पुत्र रूप में पाने का वरदान माँगा था. सुमित्रा कशी की राजकुमारी थी और उनका विवाह दशरथ से स्वयंवर में हुआ था, सुमित्रा तीनो रानियों में से सबसे बुद्धिमान थी, अपने पुत्र लक्ष्मण को उन्होंने भगवान राम की सेवा में रत हो जाने की प्रेरणा दी थी. सबसे चर्चा में रही कैकई की कहानी तो सबसे आकर्षक है, कैकेय( वर्तमान उक्रेन) प्रदेश के राजा अश्वपति की बेटी थी कैकई ( जिनका नाम सर्बिया पर पड़ा), कैकई की माँ के अवगुणो के कारण पिता ने उनकी माँ को घर से निकाल कर उनके पीहर भेज दिया. कैकई ने तब से अपनी माँ को नही देखा था और एक दासी मंथरा ने ही उन्हें पाल पोस के बड़ा किया था. शादी के बाद भी मंथरा उनके साथ ही गई बाकि की कहानी मंथरा की आप जानते ही है. कैकई सात भाइयो की अकेली बहिन थी, और युद्ध कौशल में भी अभ्यस्त थी. सम्भारसुर राक्षस से युद्ध के दौरान वो अपने पति दशरथ की सारथि थी. युद्ध में लड़ते हुए सम्भरसुर ने दशरथ का धनुष अपने बाण से तोड़ दिया और तब सारथि बनी कैकई ये ढाल से पति की रक्षा की. रथ को युद्ध भूमि से दूर ले गई पहिये को सही किया और दशरथ के घाव भरे जिनसे ही खुश हो दशरथ ने उन्हें दो वरदान दिए जो कभी बाद में मांगने की बात कर कैकई ने सुरक्षित कर लिए.