shabd-logo

रिश्तों की दुनिया

29 सितम्बर 2022

14 बार देखा गया 14

 स्वर्गीय  महादेवी वर्मा द्वारा लिखित कहानी "सोना" को अपने  बचपन में पढ़ा था,जिसमे एक शिकारी जानवरो को मृत्यु प्रसाद की भाँति बाँटता था,आज  यही पारिवारिक, सामाजिक स्तर पर हो रहा है,,जहां तीव्र गति के साथ नए नए रिश्ते बनते हैं,उससे अधिक शीघ्रता से टूट कर बिखर भी जाते हैं.और यह क्रम बार बार अपने आप को दोहराता है,क्यू की रिश्ते बनते है,ओर फिर टूटते है,इसमें सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है,की पुराने रिश्तो का टूटना और नए रिश्तो के बनने के पीछे हमेशा नए रिश्तो की चाह होती है,जो कई बार अक्सर अपने खून के रिश्तो पर भारी पड़ते हैं,लेकिन इनके पीछे भावनाएं तो आहत होती ही है,पर अब संवेदना और भावनाओं की कीमत रह ही कहां गई है.? मानो ऐसा प्रतीत  होता है,,जैसे प्रतियोगिता हो रही है,,जिसमें यह तय होना हो की कौन कितने हृदय तोड व जो़ड़ सकता है,,लेकिन क्या कभी सोचा है.? की किसी की भावनाओं के साथ लगातार खिलवाड़ उन लोगो को मृत्यु के कगार पर लाकर खड़ा कर सकता है,,जो दिल के पाक साफ होते है,क्या ये लोग महादेवी वर्मा की कहानी "सोना" के किरदार उस शिकारी की भांति नही है.? जो हर रोज़ किसी न किसी के हृदय को ठेस पहुँचा कर उन्हें मानसिक रोगी बन जाने पर बाध्य कर देते हैं,यहां एक कड़वे सच को भी स्वीकार करना ही होगा,की वास्तविकता जाने बगैर आपसी संवाद हीनता रिश्तो को खोखला करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है,,

शैलेंद्र सक्सेना की अन्य किताबें

किताब पढ़िए