रोहित कुमार विश्नोई
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मैं एक टुकड़ा पंचतत्व का आसमान सी थामी वो। ये जो हस्ती दिख रही है, आधा मैं हूँ आधी वो।।
रोहित कुमार विश्नोई की डायरी
वही जो रोज हो रहा है। आँखें जो देख पाती हैं और जो नहीं भी देख पाती। मन के अंदर और बाहर के सारे उपक्रम।
रोहित कुमार विश्नोई की डायरी
वही जो रोज हो रहा है। आँखें जो देख पाती हैं और जो नहीं भी देख पाती। मन के अंदर और बाहर के सारे उपक्रम।