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रत्नेश्वर कुमार सिंह के बारे में

988 में ‘नवभारत’ नागपुर से पत्रकारिता की शुरुआत। इसके बाद ‘दैनिक राष्‍ट्रदूत’ में उपसंपादक तथा ‘पाटलिपुत्र टाइम्स’ में फीचर संपादक, ‘स्टार वन’ पर ‘मानो या ना मानो’ का स्क्रिप्ट लेखन; दूरदर्शन से संबद्धता के साथ मौर्य टीवी के डिप्टी एडिटर रहे। रिलायंस एनर्जी मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट (मुंबई), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्यूनिकेशन (नई दिल्ली), बी.एच.यू. (वाराणसी), राँची विश्‍वविद्यालय, पटना विश्‍वविद्यालय, डॉ. जाकिर हुसैन संस्थान (पटना) में अध्यापन। डीन के रूप में नॉट्रेडेम कम्यूनिकेशन सेंटर (पटना) में कार्य किया। प्रकाशन : ‘जीत का जादू’; ‘इलेक्ट्रॉनिक @ मीडिया.कॉम’, ‘समाचार : एक दृष्‍टि’, ‘संपादन विज्ञान (पत्रकारिता), ‘लेफ्टिनेंट हडसन’, ‘सिम्मड़ सफेद’ (कहानी संग्रह), ‘सफल हिंदी निबंध’ (निबंध संग्रह) समेत 16 पुस्तकें प्रकाशित। 250 से भी अधिक नई परिभाषाएँ विकसित कीं। ‘सी.आर.डी.’ के अध्यक्ष रहे। सम्मान-पुरस्कार : साहित्य के लिए ‘भारतेंदु हरिशचंद्र पुरस्कार’।

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रत्नेश्वर कुमार सिंह की पुस्तकें

हिमयुग में प्रेम

हिमयुग में प्रेम

"जिन्दा रहने के संघर्ष के साथ 32000 साल पहले मनुष्य के होंठों ने खाने और बोलने केअलावा होंठ-चुंबन किया। सहवास की अवधारणा के साथ संसार का पहला प्रेम और पहले परिवार की परिकल्पना भी शुरू हुई। संसार के पहले राज्य जंबू की स्थापना हुई और संसार को पहला सम्र

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300/-

हिमयुग में प्रेम

हिमयुग में प्रेम

"जिन्दा रहने के संघर्ष के साथ 32000 साल पहले मनुष्य के होंठों ने खाने और बोलने केअलावा होंठ-चुंबन किया। सहवास की अवधारणा के साथ संसार का पहला प्रेम और पहले परिवार की परिकल्पना भी शुरू हुई। संसार के पहले राज्य जंबू की स्थापना हुई और संसार को पहला सम्र

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