दीपक एक सरकारी अस्पताल में वार्ड बॉय की नौकरी करता था उसके माता-पिता नहीं थे वह अकेले रहता था उसकी एक बहन और एक बड़े भाई बड़े भाभी अलग गांव में रहते थे उसकी बहन की शादी हो चुकी थी वह उसकी बड़ी बहन थी दीपक के अस्पताल में एक कर्मचारी थे जिन्हें वह अंकल बोलता था वह भी दीपक को बहुत अच्छा मानते थे अंकल के घर उनकी बहन की शादी थी अंकल ने दीपक से कहा मेरी बहन की शादी है और तुम जरूर आना अंकल ने सब प्रेम दीपक को निमंत्रण दिया दीपक अंकल के यहां शादी में पहुंचा अंकल उसे अपने घर लेकर गए घर जाते ही सामने एक लड़की आई उसने हाथ जोड़कर दीपक से नमस्ते की दीपक ने अंकल से पूछा यह कौन है अंकल ने बताया यह मेरी बड़ी बेटी है इसका नाम दीपू है अंकल दीपू से बोले बेटा पानी ले आओ जी पापा लाई अंकल ने अपनी बेटी से कहा बेटा तुम इन्हें चाय नाश्ता कर आओ मैं आता हूं दीपू पानी लेकर आई और दीपक से बोली आप पानी पीजिए मैं चाय लेकर आती हूं आपके लिए दीपक बोला तुम्हारी बुआ की शादी है और तुम अभी तक तैयार नहीं हुई दीपू मुस्कुराते हुए बोली अरे मैं तैयार तो हो चुकी दीपक बोला अरे तुम्हारी बुआ की शादी और तुम इतनी साधारण रूप से तैयार हुई हो दीपू मुस्कुराते हुए बोली जी मैं ऐसे ही रहना पसंद करती हूं मुझे ज्यादा तामझाम बिल्कुल नहीं भाता दीपक मुस्कुराते हुए बोला अच्छा तुम तो ऐसे ही अच्छी लग रही हो जी धन्यवाद दीपू ने कहा दीपू को देखकर दीपक पहली नजर में ही उस लड़की को पसंद करने लगा दीपू की सादगी दीपक को बहुत भा गई थी शायद उसे पहली नजर वाला प्यार हो गया था दीपू से पर वह कुछ नहीं कह पाया दीपू से उसको बातें करने का मन हुआ पर दीपू तो अपने काम में व्यस्त थी दीपू चाय लेकर आई और कुछ खाने के लिए भी लाए दीपक में दीपू से बात आगे बढ़ाते हुए कुछ प्रश्न पूछा दीपू एक बात बताओ आप और तुमने क्या अंतर है दीपू मुस्कुराते हुए बोली जब हम आप बोलते हैं तो बड़ों का आदर देते हैं और जब हम तुम बोलते हैं तो छोटों को प्यार देते हैं यही आप और तुम में अंतर है दीपक को उसकी यह बात बहुत अच्छी लगी दीपक का मन तो बहुत कर रहा था दीपू से बातें करने का दीपू के बारे मेऔर जानना चाहता था पर इतना वक्त नहीं था दीपू बारात आने वाली है मुझे बुआ के पास जाना होगा क्या आप चलेंगे दीपक बोला हां बिल्कुल मुझे भी तो दुल्हन से मिलना है, दीपू दीपक को दादी के घर ले आई आप बैठिए मै,