दादी को बुला कर लाती हूं दीपू ने कहा दीपक ने दादी को शादी की भेज देते हुए नमस्ते की दीपू से दादी ने पूछा यह कौन है बेटा दीपू ने कहा दादी यह पापा के स्टाफ के हैं अच्छा बेटा इन्हें चाय नाश्ता करा दिया हां दादी इन्हें पंडाल में भेज दे कुछ खाना खा लेंगे बरात आने में तो समय है दादी ने कहा अरे नहीं दादी इसकी कोई आवश्यकता नहीं है मैं बाद में खाना खा लूंगा पहले बरात देख लूंगा दीपक ने कहा अच्छा बेटा दीपू जाकर ऊपर से फूलों की टोकरी ले आओ दादी ने दीपू को काम बताते हुए कहा अच्छा में लेकर आती हूं वह छत पर चली गई दीपक भी वहां से जाने लगा पर पता नहीं क्यों मैं थोड़ा रुकाऔर इधर-उधर देखने लगा वह बड़ी बेचैनी से दीपू को एक नजर देखने के लिए रुका था उसे दीपू को बस एक बार देखना था जाने से पहले वह जाने लगा उसके पीछे से छम छम की आवाज आई उसने पीछे मुड़कर देखा फूलों की टोकरी लिए दीपू सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी वह छम छम की आवाज दीपू की पायल की थी आवाज भी दीपक के कानों में रस जैसा घोल गई दीपू को देखकर दीपक मुस्कुराने लगा दीपू दीपक से बोली अरे आप पंडाल में नहीं गए दीपक बोला अरे वह मुझे पानी पीना था हर बढ़ाते हुए दीपक बोला अच्छा मैं पानी लेकर आती हूं दीपू ने कहा आप वहां बैठक में बैठ जाइए मैं पानी लाती हूं दीपक मन ही मन मुस्कुराने लगा एक बार फिर दीपू से बात करने मिलेगी पर ऐसा नहीं हुआ दीपू किसी काम में व्यस्त होने की वजह से पानी का गिलास किसी बच्चे के हाथ बैठक में भिजवा देती है दीपक उस बच्चे से पूछता है अरे दीपू कहां है बच्चा बोलता है भैया दीपू दीदी तो कुछ काम कर रही है उन्होंने मुझसे कहा है कि आपको पंडाल तक ले जाऊं भैया आप मेरे साथ पंडाल में चलिए दीपक उदास मन से उस बच्चे के साथ पंडाल की ओर चल देता है और वहां खड़े होकर सोचता है अरे यहां तो दीपू को देखने मिलेगा शायद मेरा इंतजार पूरा हो जाए अब मैं यही खड़ा रहूंगा और दीपू के आने का इंतजार करूंगा दीपक को यह इंतजार सदियों जितना लंबा लग रहा था बस वह दीपू की एक झलक देखने के लिए बहुत देर से इंतजार कर रहा था बरात भी आ चुकी थी पंडाल में आप दीपक को लगा शायद अब मेरा इंतजार पूरा होगा पर अभी भी थोड़ा वक्त था क्योंकि दीपू तो अपनी दुल्हन बुआ के साथ ही पंडाल में आएगी इतना इंतजार तो दूल्हा भी अपनी दुल्हन का नहीं कर रहा होगा जितना कि दीपक कर रहा था दीपू का,