मैं प्रेम विवाह करना चाहती थी लेकिन मम्मी पापा नहीं मान रहे थे क्युकी राजकुमारियों की तरह पाला था उन्होंने मुझे और डर था की कहीं सास काम में न रगड़ रखे । लेकिन उनकी जबरदस्ती उनकी मर्जी के खिलाफ भी मैने उन्हे मना लिया। माने तो नही थे लेकिन केवल मेरी खुशी के लिए..... शादी नहीं हुई थी अभी हमारी लेकिन फिर भी कुछ ऐसी बातों पर चर्चाएं होती रहती थी जिनका सामना हमे भविष्य में करना था । मैं आसमानों में उड़ने वाली थी और वो पिंजरे में रहने वाला लेकिन में पिंजरे में रहने को तैयार थी और वो आसमानों में उड़ने के लिए, केवल एक दूसरे के लिए......
एक दिन चर्चा हुई साड़ी पहनने के लिए। मैं हमेशा से जींस टॉप पहनने वाली लड़की रही थी।
बता दूं की मेरे पापा हमेशा से एक पुरानी मानसिकता वाले इंसान रहे। जैसे फिल्मों में चौधरी हुवा करते थे बिलकुल उसी तरह के।उन्हे भी अपनी इज्जत से ज्यादा प्यारा कुछ नही था लेकिन में बचपन से ही उनकी सोच से लड़ती आई थी और इसी की बदौलत में २१ साल की होने पर भी जींस टॉप पहनती थी । समाज में बदलाव लाना मेरा हमेशा से एक सपना रहा था। मैं जॉब भी इसीलिए करना चाहती थी ताकि समाज मे बदलाव ला सकूं।
जब मैने अपने होने वाले पति से इस बारे में चर्चा की तो बहस बहुत लंबी चली। हर एक प्वाइंट बताया मैने उन्हे ।
मैने कहा की में साड़ी नहीं पहनना चाहती तो उनका कहना था की पहनना तो पड़ेगी । मैं तैयार न हुई मैं उनकी सोच से लड़ना चाहती थी ।हम तर्क वितर्क पर बाते करने लगे ।मैने कहा की लड़को को भी शादी करके किसी और के घर भेज दिया जाए और उन्हे कहा जाए की यहां आप अपने मम्मी पापा को छोड़कर किसी और के मम्मी पापा के पास रहिए और वो साड़ी पहनकर ,मुंह ढककर सारा काम कीजिए घर का फिर चाहे आपने अपने घर में कभी झाड़ू को छुआ भी न हो ।उनका कहना था की बात तो सही ही है पता नहीं क्यों ऐसे नियम बनाए गए पहले। मैने कहा जब हमे पता हे की हम सही ही तो हम ये गलत नियम तोड़ सकते है उन्होंने कहा नहीं मेरे मम्मी पापा को ये पसंद नहीं आएगा क्युकी समाज में ऐसा नहीं चलता।सबकी बहुएं साड़ी पहनती है तो हमारे घर की बहु भी साड़ी ही पहनेगी ।
उस दिन मुझे एक लाइन बहुत याद आई जिसमे कहा गया था की " एक तेरा ही प्यार सच्चा लगता है मां,बाकी दुनिया की तो शर्ते ही बहुत है"।
मेरे पापा जिनके लिए प्रेम विवाह उनकी संस्कृति के खिलाफ था और उनकी इज्जत नीलाम करने की वजह ,उन्होंने मेरी खुशी के लिए अपनी जिंदगी भर की कमाई हुई इज्जत छोड़ दी और एक होने वाले पति जिन्होंने मेरे सही होने के बाद भी मेरा साथ न देकर मुझे एक साड़ी नामक पिंजरे में बंद कर दिया ।फिर मैने फिर से कभी अपने विचार अपने होने वाले पति के साथ न बाटने का वादा खुद से एक वादा किया।मैने समाज को बदलने के अपने सपने छोड़ दिए।
और कुछ इस तरह मेरा प्यार और मेरे सपने समाज की गलत परंपरा से हार गए..........