साहित्य की दुनिया में अभी बच्चा हूँ अक्ल का थोड़ा सा अभी कच्चा हूँ माफ़ करना गर हो जाएँ गुस्ताखियाँ साफ मन है मेरा दिल का सच्चा हूँ .......
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सुलगते आग को मै इश्क़ बता देता हूँइस तरह लफ्ज़ों का मै जाल बना देता हूँजो मेरे इश्क में पतंगों से जल गये यारोंउन्ही को आज से आशिक करार देता हूँ ©®डॉ नरेन्द्र कुमार पटेल