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समाजवादी

2 नवम्बर 2021

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डॉ. लोहिया के विचारों और आदर्शो को प्रचार प्रसार की जरूरत थी जिसे उनके अनुयायियों ने नही किया और अनुपालन तो संभवता किसी ने भी नही किया सिर्फ मधुलिमये और किशन पटनायक को छोड़कर।उनके विचारों से विचलन उनके शिष्यो ने ही करना प्रारंभ कर दिया था,राजनारायण और जॉर्ज फर्नान्डीज से प्रारंभ होता हुआ यह मुलायम सिंह,लालूप्रसाद,रामविलास द्वारा अपने भ्रष्टाचार के चरम रुप मे पहुँचा,तथा रही सही कसर छोटे लोहिया के रूप में विख्यात जनेस्वर मिश्र ने पूरी करदी।इस समय डॉ. लोहिया का न कोई उत्तराधिकारी है न उनके विचारों का वाहक कोई व्यक्ति। किसी के विचारों की मौत उस समय से प्रारंभ हो जाती जब उसके तथाकथित कोई अनुयायी नही होता। पढ़ने लिखने और बोल देने से विचारों को असली जामा नही पहनाया जा सकता है।अब भी उनके नकली अनुयायियों द्वारा सत्ता, सामर्थ और सम्पदा इकट्ठा करने का षड़यंत्र जारी है।

- दरअसल हमारा समाज हर कदम पर दोहरेपन में जीता है,जहां प्रत्येक को अपना लाभ  वैधानिक,अपनी सफलता न्यायोचित, अपना जीवन सामाजिक लगता है और दूसरे  का सब कुछ दोषपूर्ण दिखाई पड़ता है।

- जो इतिहास रचते है,बहुधा वे स्वयं इतिहास बन जाते है। 

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