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कहते सब सरिता मुझे, बढती हूँ निष्काम जीवन के पथ हैं कठिन, चलते रहना काम चलते रहना काम, नहीं रोके रुक पाती शत्रु सामने देख, सहज दुर्गा बन जाती मेरा शील स्वभाव, भाव हैं मुझमें बहते मैं जीवन का स्रोत, मुझे सब सरिता कहते ||