शोर
मुझे लगता तो नहींके कह देने से मन की बातशोर कम हो जायेगामगर कहने की कोशिश में,शायद शोर में छिपेशब्दों को मैं खुद कुछ तोसुन पाऊँजान पाऊँसमझ पाऊँके शोर क्यों है....क्या हुआ है ....!शांत क्यों नहींमेरा मनएक बहोत लम्बे अरसे से.........शायद लिख केखुद को कह पाऊँके आखिर बात क्या हैशायद उलझन कम हो जायेकुछ