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रजनीश 'शब्दभेदी'

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अदना सा कवि, तुच्छ लेखक, निराधार विचारक और एक साधारण किन्तु खुद्दार व्यक्तित्व का मालिक हूँ ।अपने बारे में सिर्फ इतना कहूँगा कि खाइयों में गहराईयाँ, नदियों में धारायेँ, सागर में लहरेँ और आसमान में बादल सीमित हो सकते हैँ लेकिन...लेकिन मैँ कभी नहीँ क्यूँकी मै सख्स हूँ खुले आसमान सा बेशक असीमित ! 

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पुस्तक के भाग

1

'मतभेद होना चाहिए मनभेद नही'

15 मई 2016
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           मेरा एक अन्तरंग मित्र और मैं अक्सर इस बात पे घंटों बहस करते हैं कि हमारी सोच बिलकुल भिन्न है फिर भी हम इतने दिनों से साथ कैसे है ?? घंटों की बहस के बाद हर बार निष्कर्ष निकलता है 'मतभेद होना चाहिए मनभेद नही'। सच है अक्सर ऐसा होता हैं कि वैचारिक मतभेद होने पर लोग मनभेद स्वतः पैदा कर व्यक्ति

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कर्तव्य से अधिकार !

15 मई 2016
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       आन्दोलन का अर्थ होता है अधिकारों की लडाई । माने की अपने  हक़ को पाने  की लड़ाई । परिवर्तनशील होना किसी लोकतान्त्रिक राष्ट्र की प्रकृति है और किसी भी परिवर्तनशील राष्ट्र में हुए बड़े से बड़े परिवर्तनों में आंदोलनों की भूमिका अहम होती है। जन-जन का हक़ और स्वतंत्रता ही लोकतंत्र की वैचारिक मजबूती है,

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