पुण्य धरातल मुखर हुआ है
गुलामी की जंजीरों से
गोद भरी है भारत मां की
भगत सिंह से वीरों से
क्या खोया क्या पाया
सब इतिहास हमने भुला दिया
याद करो हिंदवी
मुगलों को था रुला दिया
घुटनों पर अच्छे-अच्छे दुश्मन को हमने लाया है
पुरुष सहित महिलाओं ने भी दम खम दिखलाया है
क्या ताकत की बात करें
जहां हिमालय शीश झुकाता हो
औरत के सम्मान में सीताराम को पूजा जाता हो
युद्ध की भेदी बज रही है कर तैयारी जाने को
धर्म युद्ध है जीवन का
है तैयार धरती में समाने को
पूछ रही है बहती गंगा
पूछ रहा लहराता तिरंगा
है तैयार क्या भारत पे मर मिट जाने को
क्या है तैयार शहीद बन जाने को
अगर तू हुआ शहीद तो नाम अमर होगा
स्वर्ग के आँगन में नाद प्रखर होगा
इन्द्र स्वयं तेरे स्वागत को आएंगे
श्री हरि मन ही मन मुस्काएंगे
आसमान में तू प्रकाशमान होगा
हर ओर तेरा नाम गुंजाएमान होगा
न मोह जीवन का रखना
यह दो पल का घर है
तुम्हारे लिए पूरा जीवन है
ईश्वर के लिए पल भर है
माँ भारती को सुरक्षित रखना ही धर्म है
तिरंगे को हमेशा लहराना ही हमारा कर्म है