6 दिसम्बर 2021
बुझी हुई शमा भी मेरा सुख देखकर जलती हैं,
राही तेरे शहर की फिज़ा भी मेरा रुख देख कर चलती है।
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TeacherD
वाह क्या बात है ममता यादव (प्रान्जलि काव्य)
<p> बुझी हुई शमा भी मेरा सुख देखकर जलती हैं,</p> <p>राही तेरे शहर की फिज़ा भी मेरा रुख देख कर च