शिवानी एक दूसरे शहर में किराए पर रहती है। उसके कमरे में एक लड़की और रहती है। इस दूसरी लड़की का नाम डॉली होता है शिवानी मेडिकल कॉलेज की स्टूडेंट थी और वह नई-नई इस शहर में आई थी।
एक रात की बात होती है शिवानी अपने कमरे में लेटी हुई है कि अचानक उसे ही खिड़की पर किसी की परछाई दिखाई देती है। वह उसे देखकर बहुत डर जाती है उठती है और दरवाजा खोलकर बाहर देखती है तो उसे वहां कोई दिखाई नहीं देता है। दोबारा वापस आकर अपने बेड पर लेट जाती है और सोने के लिए आंखें बंद करती है परंतु उसको नींद नहीं आ रही है और उसे यही डर सता रहा है कि आखिर वह परछाई किसकी थी।
उसे यह सब एक सपना जैसा लगता है दूसरे दिन उसे अब अपने कमरे में किसी के होने की आहट सुनाई पड़ती है। परंतु उसे वहां कोई दिखाई नहीं देता उसके बगल में डोली सो रही थी तो उसने डोली को जगाया और उससे पूछा कि आखिर यहां पर कौन है मैंने कल मैने किसी की परछाई देखी थी। डोली बताती है कि पता नहीं इस कमरे में किसी की आत्मा भटकती है और यह सब कुछ मैंने भी महसूस किया है जिसकी वजह से मुझे अब डर लगता है।
लेकिन तुम चिंता मत करो क्योंकि यह आत्मा किसी का भी कुछ नहीं बिगाड़ती है।
अभी आगे जारी है.....
परंतु शिवानी इस कमरे में डर डर कर रहती है वह डोली से पूछती है कि तुम यह सब जानते हुए भी इस कमरे में क्यों रहती हो वह बताती है कि यहां पर सभी कमरे भरे हुए हैं और महंगे भी है परंतु इससे सस्ता कमरा मुझे कहीं मिला नहीं इसलिए मैं यहां रुक गई।
उसी रात शिवानी बेड पर लेटी है कि अचानक उसे ऐसा लगता है जैसे कि उसके ऊपर कोई बैठा है और उसे कस कस कर दबा रहा है क्योंकि उसकी सांसे घुट रही थीं। वह धीरे-धीरे डोली की तरफ देखती है लेकिन डोली तो सो रही होती है। इसलिए डोली को कुछ भी आभास नहीं होता।
इस तरह से 2 महीने बीत जाते हैं। शिवानी और डोली दोनों घुट-घुट कर और डर डर कर रह रहे थे। ऐसे में शिवानी की छुट्टियां हो जाती हैं और वह अपने घर जाने के लिए सामान पैक करती है। तभी उसे उसके सामने लगे हुए आईने में अपना प्रतिबिंब दिखाई पड़ता है जो शिवानी को घूर रहा होता है।
शिवानी यह दृश्य देखकर डर के मारे बेहोश हो जाती है। इतने में उसके कमरे में डोली आ जाती है और उसके मुंह पर पानी की छीटें मारती है और उससे पूछती है कि तुम यहां पर बेहोश क्यों पड़ी हो? तब शिवानी उसे बताती है कि मैंने आईने में अपना प्रतिबिंब देखा जो मुझे घूर रहा था।
इस तरह से शिवानी दूसरे दिन अपने घर चली जाती है शिवानी अपने घर में 1 महीने रूकती है और उसके बाद दोबारा से वह उसी कमरे में आ जाती है, परंतु इस बार उसे डोली कहीं नजर नहीं आती है। वह कमरे के मालिक के पास जाती है और उससे पूछती है कि मेरे साथ कमरे में जो डोली रहती थी वह अब कहां है मुझे कहीं नजर नहीं आ रही है।
इस पर कमरे के मकान मालिक शिवानी की बात को सुनकर चौक जाते हैं और शिवानी से पूछते हैं कि तुम किस डोली की बात कर रही हो शिवानी कहती है कि वही डोली जो मेरे साथ कमरे में रहती थी तो इतने में मकान मालिक कहते हैं कि मैंने तो वह कमरा सिर्फ तुम्हें ही दिया था वहां डोली नाम की कोई लड़की रहती ही नहीं थी और ना ही मैंने उसे कभी भी तुम्हारे साथ देखा। हां 1 साल पहले जिस कमरे में तुम रह रही हो उसी कमरे में डोली नाम की लड़की रहती थी परंतु...
इतना कहते ही मकान मालिक चुप हो जाते हैं ऐसे में शिवानी पूछती है आगे क्या हुआ था बताइए
मकान मालिक कहते हैं कि वह डोली तो 1 साल पहले ही खुदकुशी कर के मर गई। उसने तुम्हारे ही कमरे में गले में फंदा डालकर अपने आप को मार लिया था। और आज तक उसकी मौत का कारण किसी को भी नहीं पता चला है। इतना कहने के बाद मकान मालिक डॉली की फोटो शिवानी को दिखाते हैं और कहते हैं कि यह है तुम्हारी डोली। शिवानी कहती है कि हां यही तो मेरे साथ रह रही थी।
मानो शिवानी के पैरों तले जमीन खिसक गई हो वह एकदम डर जाती है और चौंक जाती है और मन में सोचती है कि मैं जिसके साथ रह रही थी, इसका मतलब वह एक आत्मा थी और वही मुझे डरा रही थी। फिर इसके बाद शिवानी उस कमरे को छोड़कर हमेशा के लिए चली जाती है।