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प्रणाम मित्रो ! मेरा नाम शुबी दाधीच हैं . मैं वर्तमान में जनसंचार विषय में शोध कर रही हूँ . मुझे कहानियाँ , शोध आलेख ,कवितायें लिखने का शोक हैं . इसके साथ ही मुझे फोटोग्राफी और चित्रकारी करना पसंद हैं .

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पतन की उत्पति

19 अक्टूबर 2015
2
1

महत्वकांशा- इच्छाइच्छा - चाहतचाहत - उम्मीदउम्मीद - विश्वासविश्वास - धोखाधोखा - दर्ददर्द - तड़पतड़प - आँसूआँसू - तन्हाईतन्हाई - ईर्ष्याईर्ष्या - पागलपनपागलपन - नुकसाननुकसान - बदलाबदला -पतन

चला चल में चला-कविता

19 अक्टूबर 2015
3
2

दोस्तों! इस कविता में मुख्य बिंदु 'लेखक' हैं जो रोजमर्रा के काम को छोड़ एक असल जिंदगी की तलाश में अपना सफ़र तय करता हैं .उसका यह सफ़र किस हद तक सफल होता हैं आइये देखते हैं :चला चल में चला-कविताचला-चल चला मैं चला,न जाने कहाँ चला,भटकता रहा इधर-उधर,जलेबी की तरह टेढ़ा- मेढ़ा रस्ता था,फिर भी बांवरे की तरह निर

चला चल में चला-कविता

19 अक्टूबर 2015
1
2

दोस्तों! इस कविता में मुख्य बिंदु 'लेखक' हैं जो रोजमर्रा के काम को छोड़ एक असल जिंदगी की तलाश में अपना सफ़र तय करता हैं .उसका यह सफ़र किस हद तक सफल होता हैं आइये देखते हैं :चला चल में चला-कविताचला-चल चला मैं चला,न जाने कहाँ चला,भटकता रहा इधर-उधर,जलेबी की तरह टेढ़ा- मेढ़ा रस्ता था,फिर भी बांवरे की तरह निर

पतन की उत्पति

15 सितम्बर 2015
2
2

महत्वकांशा- इच्छाइच्छा - चाहतचाहत - उम्मीदउम्मीद - विश्वासविश्वास - धोखाधोखा - दर्ददर्द - तड़पतड़प - आँसूआँसू - तन्हाईतन्हाई - ईर्ष्याईर्ष्या - पागलपनपागलपन - नुकसाननुकसान - बदलाबदला -पतन

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