चला चल में चला-कविता
दोस्तों! इस कविता में मुख्य बिंदु 'लेखक' हैं जो रोजमर्रा के काम को छोड़ एक असल जिंदगी की तलाश में अपना सफ़र तय करता हैं .उसका यह सफ़र किस हद तक सफल होता हैं आइये देखते हैं :चला चल में चला-कविताचला-चल चला मैं चला,न जाने कहाँ चला,भटकता रहा इधर-उधर,जलेबी की तरह टेढ़ा- मेढ़ा रस्ता था,फिर भी बांवरे की तरह निर