आज के समय मैं बहुत भाग्यवान हैं वो व्यक्ति जो शारीरिक और मानसिक रूप से पूर्ण स्वस्थ हों| प्रदूषित वातावरण और आधुनिकीकरण की वजह से कहीं न कहीं हर इंसान पूरी तरह स्वस्थ नहीं है| हालाँकि हम योगा व्यायाम आदि की तरफ फिर से जागरूक हो रहे हैं, पर कितना?
क्या वो लोग जो दफ्तर मैं 10 -12 घंटे काम करते हैं, वो योगा आदि पर ध्यान दे पाते हैं? या घर मैं रहने वाली महिलाएं जिनको सुबह बच्चो को स्कूल भेजने की जल्दी रहती है वो ध्यान दे पाती हैं? दफ्तर मैं सारा दिन काम करने वाले लोगों के लिए सुबह योगा से ज्यादा जरुरी अपनी नींद पूरी करना है| और फिर सारा दिन इलेक्ट्रॉनिक चीज़े इस्तेमाल करने से जो इर्रिटेशन होता है वो चेहरे पर साफ़ झलकता है |
और व्यायाम के आभाव मैं डाइट भी उतनी नहीं ले पाते जितनी जरुरत होती है | इसका असर होता है जल्दी आखें कमजोर होना, बाल झड़ना और अन्य समस्याएं |
बच्चे थोड़े बड़े हुए तो किसी न किसी की कोचिंग, पढाई आदि के लिए घर से दूर ही रहते हैं और दूर कहीं माँ, बाप को अकेलेपन की और बच्चों के स्वास्थ की चिंता बानी रहती है | और इन बच्चों को भी काम की अधिकता से डिप्रेशन, व्यस्तता आदि जैसी परेशानियां बनी रहती हैं जो की एक चिंता का विषय है |