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स्वतंत्रता संग्राम में बुलबुल का योगदान विषय पर निबंध

1 सितम्बर 2022

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व्यंग्य 

रावण का वध करके श्रीराम सीताजी पुष्पक विमान से अपनी मातृभूमि अयोध्या पधारे थे उसी तरह वीर जी बुलबुल के पंखों पर बैठकर मातृभूमि के दर्शन करने आते थे l बुलबुल सुबह आती थी वीर जी को अपने पंखों में बैठाती थी दिन भर पुण्यभूमि भारत की सैर करा के वापिस उन्हें उनकी बैरक में छोड़ जाती थी l  जेल में बंद और कैदियों के मन मे भी इंडिया दर्शन की चाह पैदा हो गई लेकिन बुलबुल ने किसी और को घुमाने से साफ इनकार कर दिया l

वीर जी की माफी मंजूर होने के बाद जब जेल से छूटे तो उन्हें 60 रुपये महीने पेंशन मिलती थी l जबकि उस समय कलेक्टर को 40 रुपये पगार मिलती थी और सोना  40 रुपये तोला था l वीर जी रत्नागिरी में रहते थे l बुलबुल वीर के पास तब भी आती थी और आंगन में फुदकती रहती थी l वीर जी अपनी पेंशन में से 2 रुपये बुलबुल के दानापानी के लिए सुरक्षित रखते थे lस्वतंत्रता संग्राम में बुलबुल का योगदान स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा l

स्वतंत्रता संग्राम में बुलबुल के योगदान को ध्यान में रखते हुए विश्व की सबसे धनी, धर्म का परचम लिए भारत को विश्व गुरु बनाने का संकल्प जिसने ले रखा है और जो राजनीति में साम-दाम-ईडी और सीबीआई के प्रयोग से सत्ता हासिल करने में पहले ही विश्वगुरु बन चुकी है, उस पार्टी ने बुलबुल को राष्ट्रीय पक्षी घोषित करने के लिए प्रदेश नहीं, देश नहीं वरन विश्व व्यापी आंदोलन शुरू करने के संकेत दिए हैं। प्रधानमंत्री की मोर के साथ फोटो आपने देखी हैं उसकी जगह बुलबुल लाने की तैयारी हैं। गाय रक्षा कोष के बाद अब बुलबुल रक्षा कोष के लिए चंदा एलेक्ट्रोल बांड की तरह संपूर्ण पारदर्शी तरीके से जमा करने की मुहीम व्हाट्सप्प पर चलाई जाएगी।

उपसंहार में यह ही कहा जा सकता है कि बुलबुल की महिमा अपरंपार है। सूत्रों के अनुसार स्वतंत्रता आंदोलन में बुलबुल के योगदान को देखते हुए कर्नाटक सरकार भारत सरकार से मांग कर सकती है कि बुलबुल और सावरकर दोनों को नये सिरे से वीर घोषित किया जाकर दोनों को देश का सर्वोच्च सम्मान दिया जाये। 

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