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तुलसी और श्री रामचरितमानस

11 अगस्त 2016
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बचपन में एक निबंध पढ़ा था उसमें ‘मेरा प्रिय ग्रंथ’ के अंतर्गत रामचरितमानस को आधार बनाया गया था। उस समय थोड़ा अटपटा सा लगा था। शायद इसलिए कि उसे तो हम धार्मिक ग्रंथ के रूप में जानते थे। प्रिय जैसा संबोधन कुछ अलग सा लगा था। जैसे प्यारी मां, प्यारे पिता जैसी बात समझ में नहीं आती । मां, मां है, पिता, पिता

साई के भगवे रंग का जादू-एक सच्चा संस्मरण

28 जुलाई 2016
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साईं कृपा का सच्चा विशिष्ट अनुभव एक भक्त के साथ (काव्य रूप में )मेरे एक आत्मीय को हुए इस लंबे अनुभव को संक्षिप्त में काव्य रूप में मैंने बस लिखा है।एक विशेष बात उसके साथ ये भी है की वो ध्यान करता तो साई का है पर उसे दर्शन यदा -कदा महाराज (नींबकरोली जी) का होताहै। सूर्योदय से बहुत सबेरे उठा आज में जब

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