जन्म के साथ ही माँ का आंचल छूट जायें और पिता मुँह मोड़ लें।पिता का दिया नाम अशुभ दुर्भाग्य! कभी भी पीछा नहीं छोड़ता हैं।अशुभ और दुर्भाग्य को साथ लेकर शुभ और भाग्य की अनौखी कहानी हैं।नानी माँ भी पिता भी और गुरु भी बनके संसार में जीना सिखाती है।रहस्यों और जीवन के अनुभवो से सजी कहानी हैं।