shabd-logo

common.aboutWriter

एक उन्मुक्त पंछी

no-certificate
common.noAwardFound

common.books_of

common.kelekh

मेरी अभिव्यक्ति

22 दिसम्बर 2022
0
0

गिरते पड़ते मंज़िल पर पहुँच ही जाएँगे .... बस हमें हौंसला अडिग बनाए रखना है  शीर्ष शिखर पर हम  चढ़ ही जाएँगे  बस मंज़िल की चाह बनाए रखनी है  ऊँचाई को देख परिंदा ग़र पहले से ही डर जाता  फिर उन्मुक

मेरी अभिव्यक्ति

22 दिसम्बर 2022
0
0

ज़िंदगी ईश्वर का दिया हुआ एक अनमोल उपहार है .... इसे तुम अपनों के साथ सहेजकर रखना , सदा रहे संगठन ऐसा इंसानियत का तुम परिचय देना , त्यागकर विघटन को  ज़िंदगी को एक नई पहचान देना , मनुष्य बनकर इस जग

सुविचार

11 मई 2022
0
0

मेरे अंतर्मन में उलझी हैं द्वंद्व भरी अट्टालिकाएँ , दोनों ही छोर मेरे, फिर कैसे मिटे ये दुविधाएँ । कर्म मेरा आराध्य है तो कुटुम्ब मेरा कर्तव्य , दोनों मेरे अभिन्न है फिर कैसे एक ही ध्यातव्य । नदिय

---

किताब पढ़िए