27 जनवरी 2015
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मै हमेशा ही कुछ न कुछ नया सीखने की कोशिश करता रहता हूD
उथल - पुथल जो जीवन मे हमेशा ही बनी रहती है जबकि हमे पता है कि सतत परिवर्तन का नाम ही जीवन है फिर भी हम लोग जीवन मे घटने वाली घटनाओ को उथल - पुथल का नाम देते है
वक़्त ख़राब नहीं होता वो तो हम ही वक़्त- वक़्त पर अपने क्रिया कलापो से अन्य की नजरो अच्छे - बुरे बनते है
स्वार्थ को हम किस तरह से परिभासित कर सकते है हम कब आर कैसे किन अवस्थाओ मैं स्वार्थ रहित होते है जहा तक मेरी बात है तो मुझे तो हर कार्य मैं स्वार्थ ही नजर आता है कही काम तो कही ज्यादा अगर हम अपने माँ - बाप की सुख सविधाओं का भी ध्यान रखते तो बस इस लिए कि वो हमारे जन्मदाता है और उन्हें सुखी देखकर हम खु