सच्चाई गरीबी में सिमट कर रही है।
सुन तिरंगे देश की हालत क्या, तुझसे कह रही है,और सच्चाई गरीबी, में सिमट कर रह रही हैजो गरीबों के हकों को,है यहाँ हर रोज खातेउन को देखो वो सफेदी,के बने बैठे लिफाफेअब कोई दिखता नही जो,इन लिफाफो को भी खोलेकरदे दुनियाँ से रूबरू,और उन्हें सरेआम तोलेक्या हुआ दुनियां यहां अब,धन और दौलत कह रही हैऔर सच्चाई गर