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सच्चाई गरीबी में सिमट कर रही है।

9 सितम्बर 2015

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सुन तिरंगे देश की हालत क्या, तुझसे कह रही है, और सच्चाई गरीबी, में सिमट कर रह रही है जो गरीबों के हकों को,है यहाँ हर रोज खाते उन को देखो वो सफेदी,के बने बैठे लिफाफे अब कोई दिखता नही जो,इन लिफाफो को भी खोले करदे दुनियाँ से रूबरू,और उन्हें सरेआम तोले क्या हुआ दुनियां यहां अब,धन और दौलत कह रही है और सच्चाई गरीबी में सिमट कर रह रही है।। सच यहाँ मजबूर इतना,खुद को साबित कर न पाए दौलती तुम झूट देखो,सच बनेगा रुक न पाये हर कलम अब है न जज की,ये बनी सियासी इसारे अब सजा उनको न होगी होगी,जो सियासत के है प्यारे सुन तिरंगे झूट अब कुछ,गालियां भी कह रही है और सच्चाई गरीबी में सिमट कर रह रही है धर्म देखो दास बन बैठा,अधर्मी के करों में वासना पैसे को हें ये,भोगते अपने घरों में ये गरीबी इज्ज़तों का,रोज हें खिलवाड़ करते हाँ रहे ये तिरंगे,देश को बर्बाद करते सुन तिरंगे कोट से पहले,गवाही मर रही है। और सच्चाई गरीबी में सिमट कर रह रही है।। भारत भूषण त्यागी ग्राम & पोस्ट -बगचौली खार ९४१४९२९९३६

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धन्यवाद वर्तिका जी

15 सितम्बर 2015

वर्तिका

वर्तिका

बहुत सुंदर रचना!

10 सितम्बर 2015

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सच्चाई गरीबी में सिमट कर रही है।

9 सितम्बर 2015
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सुन तिरंगे देश की हालत क्या, तुझसे कह रही है,और सच्चाई गरीबी, में सिमट कर रह रही हैजो गरीबों के हकों को,है यहाँ हर रोज खातेउन को देखो वो सफेदी,के बने बैठे लिफाफेअब कोई दिखता नही जो,इन लिफाफो को भी खोलेकरदे दुनियाँ से रूबरू,और उन्हें सरेआम तोलेक्या हुआ दुनियां यहां अब,धन और दौलत कह रही हैऔर सच्चाई गर

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सच्चाई गरीबी में सिमट कर रही है।

9 सितम्बर 2015
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सुन तिरंगे देश की हालत क्या, तुझसे कह रही है,और सच्चाई गरीबी, में सिमट कर रह रही हैजो गरीबों के हकों को,है यहाँ हर रोज खातेउन को देखो वो सफेदी,के बने बैठे लिफाफेअब कोई दिखता नही जो,इन लिफाफो को भी खोलेकरदे दुनियाँ से रूबरू,और उन्हें सरेआम तोलेक्या हुआ दुनियां यहां अब,धन और दौलत कह रही हैऔर सच्चाई गर

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वीर शहीद

17 सितम्बर 2015
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श्रीगणेश चतुर्थी कि हार्दिक शुभकामनाऐ ऐव बधाई।।श्री गजान्द जी महाराज आपके घर संसार व जीवन मे सदैव आन्नद मंगल ऐव रिध्दि सिध्दी बनाऐ रखै।।।।ॐगं गं गणपत्ये नम:।।===

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वीर शहीद

17 सितम्बर 2015
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श्रीगणेश चतुर्थी कि हार्दिक शुभकामनाऐ ऐव बधाई।।श्री गजान्द जी महाराज आपके घर संसार व जीवन मे सदैव आन्नद मंगल ऐव रिध्दि सिध्दी बनाऐ रखै।।।।ॐगं गं गणपत्ये नम:।।===

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