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विचार

22 अक्टूबर 2015

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एक बार मैं अपने बाबा जी के अंतिम संस्कार की क्रिया मे गंगा किनारे था । ठीक उसी समय एक परिवार मे एक बालक का मुंडन संस्कार हो रहा था । मैंने अपने


पिता से बोला देखिये एक  जिंदगी की  इस दुनिया से बिदाइ , और एक नई जिंदगी की शुरुआत ।

क्या हर दिन ऐसा ही होता है ............!!!!!!!!!





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ओम प्रकाश शर्मा

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बिलकुल ठीक कहा विजय जी, जीवन-चक्र यूं ही चलता रहता है, बस रूप बदलते रहते हैं । उत्तम विचार !

22 अक्टूबर 2015

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