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विद्या का दीपक

26 अक्टूबर 2024

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हे भारती युवक,

 ज्ञानी विज्ञानी के रूप ,

इन्सान के प्रेमी !

 महीन, तुच्छ लक्ष्य 

की लालच पाप है |

 मेरे मन के सपने बड़े

 में परिश्रम करूंगा 

मेरा देश महान हो 

धनवान हो गुणवान हो 

यह प्रेरणा समझने का भाव अमूल्य है;

 कहीं भी धरती पर ,

उससे ऊपर या नीचे 

दीप जलाए रखूंगा ,

जिससे मेरा देश महान हो |

                          लेखक स्वर रचिता ((जी एस डी))

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मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत सुंदर एवं प्रवाह पूर्ण लिखा है आपने 👌👌 आप मेरी कहानी प्रतिउतर और प्यार का प्रतिशोध पर अपनी समीक्षा और लाइक जरूर करें 🙏🙏🙏

27 अक्टूबर 2024

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