हे भारती युवक,
ज्ञानी विज्ञानी के रूप ,
इन्सान के प्रेमी !
महीन, तुच्छ लक्ष्य
की लालच पाप है |
मेरे मन के सपने बड़े
में परिश्रम करूंगा
मेरा देश महान हो
धनवान हो गुणवान हो
यह प्रेरणा समझने का भाव अमूल्य है;
कहीं भी धरती पर ,
उससे ऊपर या नीचे
दीप जलाए रखूंगा ,
जिससे मेरा देश महान हो |
लेखक स्वर रचिता ((जी एस डी))