राम
|| रामहिं केवल प्रेम पियारा ||प्रेम ही सम्पूर्ण साधनाओं का सार तत्व है और यही भक्ति का प्राण भी है-रामहि केवल प्रेम पियारा| जानि लेऊ जो जाननिहारा||(रामचरित मानस)जप, तप ,शम ,दम ओर नियम चाहे कितने भी साधन कर लिये जायें लेकिन यदि प्रभुचरणों में प्रेम नहीं हो तो उपर्युक्त सारे प्रयास निष्फल चले जायेंगे|