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vivekshukla

विवेक शुक्ला

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vivekshukla

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पुस्तक के भाग

1

उद्देश्य

27 जनवरी 2015
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जिन की आखों में सपने हैं,होठों पर अंगारें हैं , जिन के जीवन-मृग पूँजी की क्रीडाओं ने मारे हैं, जिन के दिन और रात रखें हैं गिरवीं साहूकारों पर, जिन का लाल रक्त फैला है संसद की दीवारों पर, मैं उन की चुप्पी को अब हुँकार बनाने वाला हूँ . मैं उन की हर सिसकी को ललकार बनाने वाला हूँ ...

2

किसका भारत

29 जनवरी 2015
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किसका भारत? भारत है हम सब भारतीयों का उन सबका जो रह रहे यहाँ पर सुख दुख साथ साथ सह रहे यहाँ पर खून पशीना है शामिल, यहाँ की मिटटी में जिनका देश ही नहीं, माँ माने , ये है उनका भारत है संपूर्ण विश्व का, जो दिखलाता नित राह नयी सभ्यता के विकास पथ, जिस से समरसता की धार बही ये प्रश्न नहीं , है बट

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