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यशवन्त पटेल के बारे में

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यशवन्त पटेल की पुस्तकें

यशवन्त पटेल के लेख

पानी की कमी..... अगला भाग

10 सितम्बर 2015
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आज हम यहाँ फिर कुछ नए उपायों पर चर्चा करेंगे साथ ही उसे कम से कम अपने घर से शुरुआत करें...3. पानी की सबसे ज्यादा समस्या गर्मियों में होती है और गर्मियों में ही लोग (जिनके घरों का फर्श पक्का होता है) अपने घरों के फर्श और सीढ़ियों को प्रतिदिन धुलते हैं और जरुरत से ज्यादा पानी खर्च करते हैं. इसमें हमारी

पानी की कमी

9 सितम्बर 2015
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दोस्तों, अभी अधिकतर जगहों पर बारिश की ५० प्रतिशत की कमी का अनुमान मौसम विभाग द्वारा लगाया जा रहा है. ऐसे में ये भी अनुमान लगाया जा सकता है कि आने वाली गर्मी में पानी की किल्लत और भी (इस साल भी थी) होने की उम्मीद है. अब हम सबको ये सोचना है की कैसे इस आने वाली समस्या से बचा जा सके- तो कुछ उपाए जिन्ह

पूर्वांचल विश्वविद्यालय का शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ते हुए कदम

8 सितम्बर 2015
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कृष्ण जन्माष्टमी की बधाईयां

5 सितम्बर 2015
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हमारा देश त्योहारों का देश है, जिसकी वजह से सारा देश एक हो जाता है. आज कृष्णा जनोत्सव मनाया जा रहा है. भगवन श्री कृष्णा से हम सभी को सभी के दुखो में शामिल होने की प्रेरणा मिलती है. सभी देशवासियों को कृष्ण जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बहुत बहुत बधाईयां

शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

5 सितम्बर 2015
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मैं यहाँ अपने सभी शिक्षकों को उनके द्वारा सिखाये एवं दिखाए गए सत्य, कर्तव्यनिष्ठा तथा सेवा भाव के लिए अनेकानेक धन्यवाद देता हूँ तथा उनके सुखद जीवन की कामना करता हूँहमारे शिक्षक हमारे जीवन में हमेसा ही उजाला भरने का कार्य करते हैं बस हम उसे सही समय पर समझ लें तो हमारा कल्याण हो जाएगा....

बेटियों और बहनो पैर कोई फब्तियां न कसो...

2 सितम्बर 2015
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दोस्तों मैं आप सभी पुरुष भाइयों से कहना चाहतो हूँ की आज-कल हर जगह (सभी नहीं) जब भी कोई बहन-बेटी कही बाहर निकलती हैं तो लोग उस पर फब्तियां कसने लगते हैं. ऐसे अवस्था में कई बेतिया स्कूल नहीं जाना चाहती, बहने छह कर भी अपने बड़े-बुजुर्गो के लिए दवाईयां या फिर कुछ खाने का सामान लेन नहीं जा पाती. अगर हम स

मणिपुर में हिंसा बंद हो

2 सितम्बर 2015
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मैं अपने देश के एक प्रदेश मणिपुर के निवासियों से विनम्र निवेदन करता हूँ की वो वह पे फैले हिंसा को बंद करके अपने व अपने प्रदेश के साथ देश के विकाश के बारे में सोचे और कुछ काम करें. वैसे ही हम लोग दिन प्रतिदिन विश्व बिरादरी में पीछे होते जा रहे हैं.... हिंसा की वजह से और भी होते जाएंगे...

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