दोहे तीरथ के
लूले के शुभ ब्याह में , लंगड़ों की बारात।
मण्डप में अंधी वधू , ससुर सार कुख्यात।।
जाति केर न बात करो,फुनगी मिशिर प्रवीन।
लड़का है बी ए पढ़ा, चलें केस संगीन।।
धन में पूर्वज वर के, पुरान लम्बरदार।
है घर अन्न आज नही, कर्जा में सत्कार।।
विप्र दुःख तीरथ लिखें, रोषपूर्ण यह ताज।
पास न इनके कुछ बचा, झूठ बने महराज।।
आशुतोष मिश्र तीरथ
जनपद गोण्डा