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बाहुबली इश्क

28 नवम्बर 2018

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एक अधूरी मोहब्बत की दास्ताँ लिख रहा हूँ आप सब के समक्ष है बाहुबली इश्क ए सीमा न न रोते नहीं हैं। सीमा के आंसू पोंछते हुए सहयोग सीमा से कहने लगा। सहयोग - सीमा तुम मेरे साथ रहकर आखिर क्या पाओगी? जब हम मिले थे । हमनें जो वादा किया था क्या तुम्हें याद नहीं। यदि मेरा सिविल सर्विस में सेलेक्शन हो जाएगा तो मैं तुमसे ब्याह कर लूंगा । परन्तु यह अब सम्भव नहीं रहा। मेरे ऊपर SC'ST एक्ट में केस चला और दोष सिद्ध हो चुका है। क्या तुम अब भी मेरे साथ ब्याह करना चाहती है? अपने आप को सम्भालते हुए सीमा कहने लगी। सहयोग कोई बात नहीं। यह मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं। जबसे मैंने होश सम्भाला है। पिताजी को मुकदमे ही लडते देखा है । थोड़ा सा बड़ी होने पर जेल में और अब हत्या। जैसे मेरी मम्मी ने सारी उम्र गुजारी है। उसी तरह मैं भी काट लूंगी। पर सहयोग तुम मुझे मत छोड़ो। बचपन से हर पिता के प्यार से वंचित थी। और अब तुम भी मुझे छोड़कर जा रहे हो। मैं तुम्हारे बिन नहीं रह सकती। मर भी नहीं सकती सहयोग क्योंकि अपनी मां और भाई का सहारा अब मैं हूँ। हवा रूक सी गई मानो सहयोग के उत्तर की प्रतीक्षा कर रही हो। देखते देखते सहयोग की आंखों से दो आंसू जमीन पर गिरे। सहयोग के यह आंसू पहली बार सीमा के कलेजे को ठण्डक पहुंचा रहे थे। परन्तु यह क्या! सहयोग अब भी अपने निर्णय पर अडा था। सहयोग - सीमा मैं कुछ नहीं जानता। बस तुम मुझे भूल जाओ । तुम मुझे पसन्द नहीं हो । तुम्हारी जैसी सौ लड़कियों के रिश्ते आ चुके हैं । मैं तुम्हारे पीछे समाज से बैर नहीं लेना चाहता। सीमा- सहयोग तुम बदल कैसे गए तुम ऐसे हो सकते हो मैंनें सोचा न था। थोड़ा रूककर सहयोग वहाँ से चला जाता है। सहयोग के आंसुओं को सीमा समझ न सकी। और सीमा की जिद को सहयोग। सहयोग वो सहयोग कहां मर गयो सहयोग बाहर सभी तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं। सहयोग सहयोग ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठा टी वी देख रहा था सहयोग के मन पर बिल्कुल प्रसन्नता न थी वह टीवी ऐसे देख रहा था जैसे कोई बहुत बढि़या चीज आ रही हो जबकि ऐड आ रही थी। सुमिता - सहयोग मैं तुम्हें कब से ढूंढ रही हूँ और तुम इंहा बैठे हो। पूजा पर नहीं बैठ सके पर थोडे पटाखे तो जला लो। सहयोग - न दीदी सुमिता - क्या हुआ है सहयोग तुम्हें डाक्टर कहते हैं सोचता ज्यादा है आखिर ऐसी क्या बात है कुछ तो बताओ लडना झगड़ना खाना पीना सब कुछ त्याग रखा है आखिर क्या हुआ। तभी सहयोग के आंखो से कुछ गिरा ऐसा सुमिता को महसूस होता है। सहयोग तुम रो रहे हो क्या? सहयोग - न दीदी वह चश्मा नहीं लगाया न सुमिता - सहयोग कुछ दर्द हो रहा है क्या आखिर बताओ भी नहीं अभी मम्मी जानेंगी तो वह परेशान हो जाएंगी बताओ न? सहयोग सहयोग- दीदी मैंने आपको सीमा से मिलवाया था याद है? सीमा-हाँ हाँ क्या हुआ लड़ाई हो गई क्या। सहयोग- दीदी अब वो न रही सुमिता - क्या सहयोग- हाँ दीदी मेरी वजह से उसने आत्महत्या कर ली। सुमिता - भाई क्या कैसे क्यों कब तभी बुआजी की आवाज आती है। सुमिता सहयोग को बुलाने गई थी तुमहूं हुयं रह गइउ। सहयोग को सुमिता चुप कराने लगती । सीमा की मृत्यु के पश्चात सहयोग बिलकुल उदास उदास रहने लगा था। सहयोग एक सकारात्मक सोच का लड़का था परन्तु सीमा की मौत ने अन्तस से झकझोर कर रख दिया था। सहयोग को आज महिनों पश्चात एक चिट्ठी मिली जो कुछ इस प्रकार थी। प्रिये सहयोग मुझे क्षमा करना मैं तुम्हारा साथ नही दे पाई। मुझे नही पता कि तुम मरोगे पहले या मैं परन्तु अपनी शादी भले ही न हुई हो पर मैं हृदय से तुम्हें अपना पति मान बैठी हूँ। मुझे यह कदापि मंजूर नहीं कि मैं तुमसे दूर रहूं या तुमको मरता हुआ देखूं। इसलिए मै आज यह जानते हुए जहर खा रही हूँ कि यह गलत है । जहर खाना मेरी मजबूरी है क्योंकि यह मुझे भली-भांति पता है कि तुम मुझे स्वीकार नहीं करोगे। यदि तुम जीवित बचते हो तथा यह खत तुम्हे मिलता है । यदि तुम्हारे दिल में मेरे लिए एक रती भी प्रेम है तो तुम प्रियांशी को !'?,,"": सहयोग के हाथ पैर कांपने लगे आगे का वक्तव्य पढ़कर। प्रिये सीमा आज तुम्हें इस दुनिया से हुए पांच माह हो रहे हैं। आज एक बार फिर मैं दिल्ली आया हूँ। दिल्ली मतलब हमारे जीवन के महत्वपूर्ण पल। इसलिए तुम्हारी याद आनी स्वभाविक है। दिल्ली ये वही शहर है जहां हमारे प्रेम को प्रभु का साथ मिला था, अल्पायु में। वह चांदनी चौक की पतली गली !जिसे मैं आज भी देखकर आया हूँ। देखने पर ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानो तुम आज भी तुम उस गली से निकलोगी ।राजघाट पर गीता भवन के पास की दुकान वाले के समोसे और मिठाई तुम्हें बहुत पसंद थी। आज भी मैं वहाँ अपने मित्र के साथ बैठा था। खाने पीने का प्रयास असफल रहा ऐसे लग रहा था कि तुम हाथ धोने गई हो और अभी आओगी। कल शाम को दीदी भी तुम्हारे बारे पूछ रही थीं।अब उन्हें मैं कैसे और क्या बताऊँ कि मैं हत्यारा हूँ। कल भाभी जी ने भी मजाक वश कहा कि अब तुम बच्चे नहीं रहे। यदि तुम्हारा विवाह हुआ होता तो अब तक बच्चे के बाप होते। यह सुनकर एक बार पुनः मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ। मैं यहां पर कुछ पंक्ति लिखना चाहूंगा--- बाहुबली इश्क गुजरा मैं जब आज गली से तेरी रूठकर वो कहने लगीं आए क्यूं अजी आज तुम यहाँ शुष्क पवन बहने लगीं। समझ सके न तुम जीतेजी जज्बात अपनी प्रेमिका के ढूंढ रहा दर दर तू आज उसे कहां जिदें तेरी रहने लगीं।। ---- तुम्हारा सहयोग ""उदास होना गलत नही है । उदासी को नकारात्मक सोच में बदलना गलत है। यद्यपि सीमा की मृत्यु के पश्चात सहयोग टूटा हुआ था परन्तु जो सपने सीमा और सहयोग ने मिलकर देखे थे उन्हीं सपनों ने सहयोग को टूटने के बाद भी बिखरने न दिया। ,सीमा की चिट्ठी मिलने के बाद सहयोगी के एक झटका तो पुनः लगा कि सीमा ने ऐसा क्यूं कहा? प्यार तो हम करते थे।फिर उसकी बहन बीच में कैसे आ गई?कहीं उसके बहन की यह कोई चाल तो नहीं परन्तु यह चिट्ठी तो सीमा के ही राइटिंग में है। सीमा से मित्रता के पहले मेरी प्रियांशी से बनती भी थी? हे!प्रभु यह मेरे साथ क्या हो रहा है? मैं आखिर प्रियांशी को क्यों अपनाऊं? मैं सीमा के सारे स्वप्न पूरे कर रहा हूं वो अलग बात है। " सहयोग ने काफी देर सोच-विचार कर निर्णयलिया कि सीमा ने जो लिख दिया वह लिख दिया परन्तु अब प्रियांशी से इस बारे तो राय ले लेनी चाहिए। क्रमशः आशुतोष मिश्र तीरथ गोण्डा

आशुतोषआशुतोष मिश्रमिश्र तीरथतीरथ की अन्य किताबें

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लिवलिवरिलेशनशिपरिलेशनशिप इन

31 मार्च 2018
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लिव इन रिलेशनशिप बारहवीं के पश्चात घर से दूर बच्चे जो शहर मे पढ़ने आते हैं। लिव इन रिलेशनशिप मे अक्सर वह बच्चे बुरी तरह पड़ जाते हैं।। करके मेहनत मजदूरी मां बाप सौ गम सह बेटे बाहर भेजते हैं। पढ़ लिख कर एक दिवस बेटा बनेगा बाबू वह रहते सोचते हैं।। बेटों को पैसे जो घर से पुस्तके नोट्स खर

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यूंही

24 अप्रैल 2018
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बचपनउलझ गए आधुनिकता मे खेलते बच्चों के बचपन हैं।देख कर इनको ऐसे मन मेरे होती अति उलझन है।।गुम गया वह मैदान जहां थे खेलते यह शाम सवेरे।बनकर के छुकछुक गाड़ी जहां लगाते थे पीपल फेरे।।बोझ बढ़ गया बस्तों काहोता भ्रमित इनका मन है।खान - पान ऐसे बच्चों के बढ़ता न उससे अब तन है।।कहर तकनीकी का बरपावास

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जी

24 अप्रैल 2018
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टूटा तीरबज रहे ऊंची ऊंची आवाज मेदेखो कैसे फूहड़ता भरे गीत हैं।अशिक्षित वर्ग देश का बड़े स्तरपर हुआ बुरी तरह से मीत है।।करते वक्त छोटी यात्रा मे चलनाछोटे वाहनों पर हुआ है दूभर।हुई व्याप्त अश्लीलता हर जगह हो चाहे टैम्पू टैक्सी ओला ऊबर।।बजते सार्वजनिक स्थल पर इनगीतों को हमे बन्द कराना होगा।इन गीतो

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रिश्ते

27 अप्रैल 2018
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विरासती रिश्तारिश्ते कुछ मिलते विरासत मेजिनको हम भूल जाते हैं।भूल प्रेम सौहार्द आपस मेहम अपने पैसों पर इतराते हैं।।रिश्ते विरासती हैं हुआ करते हृदय मन के अति नजदीक।थोड़ा अकड़पन होता उनमेंपरन्तु साबित होवे वह ठीक।।संग वसीयत के मिलते रिश्ते रिश्ते न हमसे सम्भलते हैं।पश्चात् मृत्यु पूर्व

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गीत

3 मई 2018
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निकलूं मैं जब तेरी गलियों से राहों में प्रियतम तुम मिल जाओ।लौटा दो तुम अब मेरी नींद मुझेवापस मेरा मुझको दे दिल जाओ।।भटक रही शाम बिन तेरे भटके - भटके से दिन हैंं।क्या जानो तुम हाल मेराहम जीते कैसे तुम बिन हैं।।पस्त अवारा अब दिन हैंअवारा अवारा शाम हो गई।जो कुछ श्रुति थी पास मेरेसब यादों में तेर

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सैनिक

7 मई 2018
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यूंही वक्त नही समझौतों का खून से लथपथ घाटी घायल है।टूट रही चूड़ियाँ बहते काजल रोता सूना पायल है।।गोद माताओं की नव वधुओं का उजड़ रहा सुहाग।गोदाम में पड़े पडे़ कबड्डी खेल रहे क्या पृथ्वी नाग।।शहीदों के शव पर भी राजनीतिक घमासान हो रहा।शत्रु देश से आया शत्रु नेताओं का मेहमान हो रहा।।लहू से लथपथ

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दर्द

8 मई 2018
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दर्द जुदाई का शहीद सैनिक की वधु से पूछो दर्द जुदाई का।भूल न पाती ताउम्र समय वह अंत विदाई का।।स्वप्न कई सलोने लेकर वह ससुराल आई थी।ख्वाबों में ही दुनिया एक उसने सजाई थी।।जाकर मैं ससुराल प्रसन्नचित पिया संग रहूंगी।मांग सिंदूर माथे बिंदी हाथे नौ चूड़ियाँ पहनूंगी।।रंग मेंहदी के अभी उसके हाथों से न छू

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भ्रष्टाचार

15 मई 2018
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भ्रष्टाचार से निपटने के उपाय मेरा विचार आज हमारे देश में यह हालात है कि यदि हम न्याय पाने की आश में यदि न्यायालय जाते हैं तो वहां न्याय मिलना एक आम आदमी के बस की बात है ही नही। एक मुकदमे सालों-साल चलते रहते हैं। एक बार में कर्मचारी फैसला नही कर पाते। यदि एक जमीन की पैमाइश कराके दो बार नपाई जाए तो

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इंतजार

16 मई 2018
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बस यूंही आऊंगा लौटकर तुम मेरा इंतजार करना।रहना खुशी-खुशी उचित व्यवहार करना।।न भुलाएंगे हम तुमको न भुलाना तुम हमे।ताउम्र तुम मुझे ओ प्रियतम प्यार करना।।आने लगें यादें मेरी जब हद से ज्यादा।तब भी न तुम शालीनता को पार करना।।लगाए हूँ यादों को सीने से तुम भी रखना।मिले हम इस हेतु प्रभु का आभार करना।

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व्यंग्य

26 मई 2018
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व्यंग्य फसल लहलहाती तुम अफीम कीमैं सूखा पीड़ित ईख खेत प्रियेहो मिट्टी तुम चिकनी और मुल्तानी ज्येष्ठ धूप में तपती मैं गर्म रेत प्रियेहो छड़ी जादुई बालपरी की तुमजंगली टेढ़े बांस का मैं बेंत प्रियेतुम लोकतंत्र की राजनीति प्यारीमैं मतदाताओं का मत रेट प्रियेहो बसंत माह सी आप सुहावन तपत

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प्रियतम

1 जून 2018
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श्रृंगार रस मुख चन्द्र सा चमक रहा है चन्दन सी महकती काया है।पूर्णिमा की रात्रि में प्रियतम तेरे रूप ने सबको भरमाया है।।मैल तनिक न मन में उसकेचन्दन सा मन तेरा कुन्दन है।सूट सलवार पहने शालीन तुम्हे हृदय करे अभिनन्दन है।।हो गया गोरी मैं हृदय घायल जब बाजी छनन छन पायल।होश हवास खो बैठा मैं प्रियेऐसे

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व्यंग्य

9 जून 2018
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दोहे तीरथ केलूले के शुभ ब्याह में , लंगड़ों की बारात।मण्डप में अंधी वधू , ससुर सार कुख्यात।।जाति केर न बात करो,फुनगी मिशिर प्रवीन।लड़का है बी ए पढ़ा, चलें केस संगीन।।धन में पूर्वज वर के, पुरान लम्बरदार।है घर अन्न आज नही, कर्जा में सत्कार।।विप्र दुःख तीरथ लिखें, रोषपूर्ण यह ताज। पास न इनक

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स्त्री

21 जून 2018
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स्त्री रूप तेरेहे स्त्री वह भी तुम्ही हो जब धरातल पर मैं आया सर्वप्रथम तुम्ही ने वात्सल्य प्रेम से मुझको सहलाया हां वह भी तुम्ही हो बड़ा होते ही जिसका स्नेह मिलातुम से लड़कर भी डरता और जिसे मैंने दीदी कहाहै इसमें भी को शक नहीकि स्त्री ने मुझे मजबूत बनाया सलाह से दादी के मुझकोगया था काजल बुकवा लगायाह

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वर्षा

30 जून 2018
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वर्षा का इंतजार सनन सनन करती चलती पुरवाई है।मौसम की मुझसे ई कैसी रुसवाई है।।तेज हवा के झोंके आकर पूरव से पश्चिम बल खाकरबादल को उड़ा ले जाते हैंतेज तपिश क्यूँ तड़पाते हैंघिर -घिर कर यह चहुँओर चहुँओर छाई घटा घनघोर दुमक दुम बादल करतेबारिश को मनवा तरशेघनघोर घटा क्यूँ अब तक न आई है।।तन व्याकुल मन व

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इश्क

3 जुलाई 2018
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इश्क 😀😀😀करेगा न कोई छात्र जुर्रत इश्क करने की।स्कूलों में प्रेम कहानी पढ़ाकर तो देखिए।।सताई जाती हैं किस तरह पीड़िता जिहाद।लड़कियों से जरा बताकर तो देखिए।।कांप उठेगी रूह सुन दशा आएशा की।फरमान आसमानी सुनाकर तो देखिए।।दशा बन्द हरिजन एक्ट में उस ठाकुर की।जेल में अपने बच्चों को दिखाकर देखिए।।हैं

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ब्राह्मण

10 जुलाई 2018
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दोहे तीरथ केलूले के शुभ ब्याह में , लंगड़ों की बारात।मण्डप में अंधी वधू , ससुर सार कुख्यात।।जाति केर न बात करो,फुनगी मिशिर प्रवीन।लड़का है बी ए पढ़ा, चलें केस संगीन।।धन में पूर्वज वर के, पुरान लम्बरदार।है घर अन्न आज नही, कर्जा में सत्कार।।विप्र दुःख तीरथ लिखें, रोषपूर्ण यह ताज। पास न इनक

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सामयिकी

13 जुलाई 2018
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सामयिकी चंदा मामा थे जो बचपन मेंअब वह जानू प्रियतम हो गए।किस्से वह बिक्रम बेताल केव्यभिचारी डाल पर सो गए।।सार्थकता वह पंचतंत्र कीफिल्मों में अब समा गई।सुन्दर सुशील परियां अबछली भयानक रूप दिखा गईं।।अलाउद्दीन का चिरागी जिन्नअसभ्य पत्रिका से डर गया।बीरबल उदास हुआ मीडिया नेजब चुटकुलबाज उसे कह दिया।।तेना

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पप्पू

15 जुलाई 2018
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कुण्डलिया प्रथम प्रयासपप्पू जी को चाहिए, अब शरिया कानून।बहुमत हेतु मिल रहे, हाफिज से दो जून।।हाफिज से दो जून, मिल बैठक होती रोज।रिझाने को उन्हें, नित करें नई खोज।।हाफिज जी जो कहें, लगता वह इनको सही।।मन पसन्द विश्व के , कार्टून हैं पप्पू जी।।आशुतोष मिश्र तीरथ जनपद गोण्डा काप

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न्यूड

18 जुलाई 2018
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मन बहुत व्यथित है। महिलाओं पर मैं अति शीघ्र नही लिखता। और न ही आज लिखना चाह रहा था।माताओं बहनों क्षमा करना।मैं बहुत दिनों से इस समय महिलाओं को कुछ ऐसे विषय पर लिखते देख रहा हूँ। बहुत बुरा लगता है। लिखेंगी फलाना फलाना, धमाका, यह हमारा अधिकार है,हम दबे हैं हमें बहिष्कृत किया जाता है । क्यों किया जाता

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नीरज गोपाल दास जी

19 जुलाई 2018
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बड़े खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि प्रसिद्ध गीतकार पद्मश्री श्री नीरजगोपाल दास जी का आज देहांत हो गया। वह 93 वर्ष के थे। आज 19/7/2018 को 7:35 बजे पर उनका निधन हुआ। परिजनों की माने तो उन्हे बार हृदय में समस्या हो रही थी। इनका जाना हमें बहुत याद आएगा। आज गीतों का राजकुमार सदा के लिए हमारे बीच से चला

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जीवन

19 नवम्बर 2018
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ठहरचल रहा हूँ मैं धीरे-धीरे मंजिल मुझे मालूम नहीं।दिल में है पर विश्वास येकभी तो  पहुंचगा कहीं।हो जाता हूँ जब निराश मैंइक किरण पुनः जगती है।आगे होगा आसमान तेराचला चल मुझसे कहती है।मंजिलें नही तो क्या हुआ मंजिल तुम अपनी बनाओ।बदलना न राहें ठहरना पड़ेठहर कुछ कर नया दिखाओ।।आशुतोष मिश्र तीरथ       गोण्डा

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बाहुबली इश्क

28 नवम्बर 2018
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एक अधूरी मोहब्बत की दास्ताँ लिख रहा हूँ आप सब के समक्ष हैबाहुबली इश्क ए सीमा न न रोते नहीं हैं। सीमा के आंसू पोंछते हुए सहयोग सीमा से कहने लगा।सहयोग - सीमा तुम मेरे साथ रहकर आखिर क्या पाओगी? जब हम मिले थे । हमनें जो वादा किया था क्या तुम्हें याद नहीं। यदि मेरा सिविल सर्विस में सेलेक्शन हो जाएगा तो

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