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सत्य ध्यान

15 जुलाई 2017

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सत्य ध्यान ध्यान मात्र होना है।ध्यान की विधि या क्रिया ध्यान नही है।ध्यान है अक्रिया।ध्यान के कुछ मूल तत्व हैं। ध्यान की विधि कोई भी हो, वह तत्व हर विधि के लिए आधार हैं। प्रथम शरीर की एक विश्राम पूर्ण अवस्था। दूसरा मन के साथ कोई संघर्ष नहीं,मन पर कोई नियंत्रण नहीं,कोई एकाग्रता नहीं।दूसरा जो भी चल रहा है ,उसे बिना किसी विरोध के बस शांति और सजगता से अनुभव करना।बिना किसी निर्णय और मूल्यांकन के बस उपस्थित रहना। विश्राम, साक्षी भाव और अनिर्णय इन तीन बातों को अनुभव करते समय आप उपस्थित रहें , तो धीरे-धीरे एक अनमोल मौन ही रह जाता है।बस पूरी तरह से शिथिल व शांत हों।यही आप का होना है।इस समय मैं हूं का भाव भी नहीं रह जाता है।केवल 'हूं' रह जाता है।यही आपका होना है। शुद्ध,निर्लेप ,असंगत,आकाश की भांति। शिवोहम,शिवोहम, शिवोहम महेश चंद्र सेठ, सत्य रेकी केंद्र,भोपाल 9425392503

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