उस दिन
सफ़र का शौक़ीन मैं, हैरान रह गया उस दिन, तेरी उस हसीन सी मुस्कराहट पर सफ़र ही भूल गया जिस दिन, उबरे जब तलक तेरे ख़याल से बहुत देर हो गयी उस दिन, तेरे दीदार के चक्कर में कॉलेज देर से थे हम पहुंचे जिस दिन, क्या करें क्या बनायें बहाना, थी अजीब कश्मकश उस दिन, न ही ठण्ड थी न था मौसम ठंड का फिर भी कंपकंपी छाय